"फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग: एक पूरी गाइड"

"फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग: एक पूरी गाइड"



"फैशन स्केचिंग के लिए आवश्यक टूल्स"

"फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग: एक पूरी गाइड"




फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगर आप फैशन डिजाइनिंग का कोर्स कर रहे हैं या सीखना चाहते हैं, तो आपको इन दोनों विषयों की पूरी समझ होनी चाहिए। नीचे फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई है।
स्केचिंग का पूर्ण ज्ञान

स्केचिंग एक कला है जो किसी वस्तु, व्यक्ति या परिदृश्य को सरल रेखाओं और छायांकन के माध्यम से उकेरने की प्रक्रिया है। यह कला चित्रकला का मूल आधार मानी जाती है और इसे सीखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण तत्वों को समझना आवश्यक होता है।

1. स्केचिंग के प्रकार


1. फ्रीहैंड स्केचिंग – बिना किसी माप उपकरण के हाथ से बनाई गई रेखाएँ।


2. टेक्निकल स्केचिंग – ज्यामितीय और तकनीकी दृष्टिकोण से बनाई गई चित्रकारी।


3. पोर्ट्रेट स्केचिंग – चेहरे और हावभाव को दर्शाने वाली स्केचिंग।


4. लैंडस्केप स्केचिंग – प्राकृतिक दृश्यों और वातावरण की स्केचिंग।


5. डूडल आर्ट – अनायास बनी हुई आकृतियाँ और रचनाएँ।



2. स्केचिंग के लिए आवश्यक सामग्री


पेंसिल (HB, 2B, 4B, 6B, 8B, 10B)

इरेज़र (नॉर्मल व नीन्डेड इरेज़र)

ब्लेंडिंग स्टंप (शेडिंग के लिए)

चारकोल पेंसिल

स्मूद पेपर या स्केचबुक


3. स्केचिंग की मूल बातें


1. आकार और अनुपात (Shape & Proportion) – ऑब्जेक्ट का सही आकार और संतुलन बनाए रखना।


2. रेखाएँ (Lines) – हल्की और गहरी रेखाओं के माध्यम से चित्र को आकार देना।


3. छायांकन (Shading) – प्रकाश और छाया के प्रभाव से गहराई और यथार्थता लाना।


4. पर्सपेक्टिव (Perspective) – किसी वस्तु को दूरी और एंगल के अनुसार दिखाना।


5. हाइलाइट और शैडोज़ – रोशनी के अनुसार भागों को उभारना या दबाना।



4. स्केचिंग के अभ्यास के लिए टिप्स


रोजाना ड्राइंग का अभ्यास करें।

साधारण वस्तुओं (फल, कप, चेहरा) से शुरुआत करें।

हल्की रेखाओं से ड्राइंग शुरू करें और धीरे-धीरे डिटेल्स जोड़ें।

रिफरेंस इमेज का उपयोग करें।

अलग-अलग शेडिंग तकनीकों का अभ्यास करें (क्रॉस-हैचिंग, स्मजिंग, स्टिपलिंग आदि)।


5. उन्नत स्केचिंग तकनीकें


ग्रिड मेथड – बड़े चित्र को छोटे भागों में विभाजित कर सटीक स्केचिंग।

नेगेटिव स्पेस ड्रॉइंग – आकृति के चारों ओर की जगह को ध्यान में रखते हुए चित्र बनाना।

लाइटिंग स्टडी – प्रकाश के स्रोत के अनुसार छायांकन करना।


6. डिजिटल स्केचिंग


आजकल डिजिटल माध्यमों से स्केचिंग का चलन बढ़ गया है। इसके लिए Procreate, Adobe Photoshop, Krita, Autodesk Sketchbook जैसे सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है।

1. फैशन स्केचिंग और ड्राइंग का महत्व


किसी भी डिजाइन को बनाने से पहले उसका स्केच तैयार किया जाता है।

यह डिजाइनर के विचारों को कागज पर उतारने में मदद करता है।

ग्राहक और टेलर को डिजाइन समझाने के लिए स्केच बहुत जरूरी होता है।

यह फैब्रिक और कलर कॉम्बिनेशन चुनने में सहायता करता है।



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2. फैशन ड्राइंग और स्केचिंग के प्रकार


A. क्रोकी (Croquis) स्केच


यह इंसानी शरीर का एक बेसिक आउटलाइन होता है।

इसका उपयोग अलग-अलग तरह के कपड़े और डिज़ाइन बनाने के लिए किया जाता है।

फैशन डिजाइनिंग में यह सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है।


B. इलस्ट्रेशन स्केच (Illustration Sketch)


यह एक डिटेल स्केच होता है, जिसमें फैब्रिक टेक्सचर, शेडिंग और कलर्स को दिखाया जाता है।

इसमें कपड़ों की फॉल, सिलाई और एम्ब्रॉयडरी डिटेल्स भी जोड़ी जाती हैं।


C. टेक्निकल स्केच (Technical Sketch)


इसे फ्लैट ड्राइंग भी कहते हैं।

इसमें गारमेंट्स की स्ट्रक्चर, पैटर्न और सीवन (Stitching) की पूरी जानकारी दी जाती है।

यह मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन के लिए उपयोगी होता है।



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3. ड्राइंग और स्केचिंग के लिए जरूरी टूल्स


फैशन स्केचिंग के लिए कुछ जरूरी सामान चाहिए होता है, जैसे:
पेंसिल (Pencils) – HB, 2B, 4B, 6B शेडिंग और आउटलाइन के लिए।
स्केचबुक (Sketchbook) – डिजाइन प्रैक्टिस करने के लिए।
मार्कर्स और कलर्स (Markers & Colors) – ड्राइंग को रियलिस्टिक बनाने के लिए।
स्केल और माप उपकरण (Scale & Measurement Tools) – सही अनुपात (Proportion) के लिए।
ब्लेंडिंग टूल्स (Blending Tools) – शेडिंग और टेक्सचर देने के लिए।


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4. फैशन स्केचिंग सीखने के स्टेप्स


Step 1: फिगर ड्राइंग का अभ्यास करें


इंसानी शरीर (Human Anatomy) का बेसिक स्ट्रक्चर समझें।

शरीर के अनुपात (Proportion) पर ध्यान दें।

अलग-अलग पोज़ में मॉडल ड्रॉ करना सीखें।


Step 2: गारमेंट्स और फैब्रिक की स्टडी करें


कपड़ों की फॉल और फिटिंग को समझें।

फैब्रिक के पैटर्न और टेक्सचर को स्केच में दिखाने की प्रैक्टिस करें।


Step 3: डिजाइनिंग और स्टाइलिंग


अलग-अलग फैशन स्टाइल (Traditional, Western, Indo-Western) बनाना सीखें।

कपड़ों पर प्रिंट, एम्ब्रॉयडरी और अन्य डिटेलिंग जोड़ें।


Step 4: कलरिंग और फिनिशिंग


कलर थ्योरी (Color Theory) को समझें।

ड्राइंग में शेडिंग और हाइलाइटिंग का इस्तेमाल करें।



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5. फैशन स्केचिंग के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्स


अगर आप फैशन स्केचिंग और ड्राइंग सीखना चाहते हैं, तो कई ऑनलाइन और ऑफलाइन कोर्स उपलब्ध हैं। आप NIFT, Pearl Academy, और अन्य डिज़ाइन इंस्टीट्यूट से कोर्स कर सकते हैं।


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निष्कर्ष


फैशन ड्राइंग और स्केचिंग सीखने के लिए अभ्यास बहुत जरूरी है। अगर आप हर दिन स्केचिंग की प्रैक्टिस करेंगे और नए डिज़ाइन्स बनाएंगे, तो आप एक अच्छे फैशन डिजाइनर बन सकते हैं।

क्या आप किसी खास टॉपिक पर और जानकारी चाहते हैं?


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फैशन डिजाइनिंग का परिचय

फैशन डिजाइनिंग का परिचय


एक फैशन डिजाइनर का रचनात्मक स्टूडियो, जहां स्केच, रंगीन कपड़े, सिलाई उपकरण और ट्रेंडी परिधान पहने हुए मैनेकिन्स हैं। बड़ी खिड़कियों वाला आधुनिक और आकर्षक डिज़ाइन स्टूडियो।



फैशन डिजाइनिंग एक रचनात्मक कला और पेशा है जिसमें वस्त्रों, आभूषणों और अन्य सहायक वस्तुओं (Accessories) को डिज़ाइन किया जाता है। यह न केवल कपड़ों की सुंदरता को बढ़ाने का कार्य करता है, बल्कि व्यक्ति की पहचान और समाज में उसकी स्थिति को भी दर्शाता है।


फैशन डिजाइनिंग का महत्व


1. व्यक्तिगत अभिव्यक्ति – यह लोगों को अपने व्यक्तित्व और स्टाइल को प्रस्तुत करने का मौका देता है।


2. औद्योगिक क्षेत्र – फैशन उद्योग विश्वभर में एक विशाल बाजार बन चुका है, जिसमें कई करियर अवसर हैं।


3. संस्कृति और परंपरा – यह विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं को ध्यान में रखते हुए नई डिज़ाइनों का निर्माण करता है।



फैशन डिजाइनिंग के प्रमुख क्षेत्र


1. परिधान डिजाइनिंग (Apparel Designing) – कपड़ों की डिजाइनिंग जैसे कि कैजुअल, फॉर्मल, एथनिक और ब्राइडल वियर।


2. गहना डिजाइनिंग (Jewelry Designing) – आभूषणों की डिजाइनिंग, जैसे कि सोने, चांदी और हीरे के गहने।


3. फुटवेयर और एक्सेसरीज़ डिजाइनिंग – जूते, बैग, बेल्ट और अन्य फैशन आइटम्स की डिजाइनिंग।


4. टेक्सटाइल डिजाइनिंग (Textile Designing) – कपड़े के पैटर्न, प्रिंट और टेक्सचर को डिजाइन करना।



फैशन डिजाइनिंग में करियर के अवसर

फैशन डिजाइनर

टेक्सटाइल डिजाइनर

स्टाइलिस्ट

फैशन ब्लॉगर

मर्चेंडाइजर

बुटीक ओनर


फैशन डिजाइनिंग सीखने के तरीके


1. डिग्री कोर्स – NIFT, Pearl Academy, JD Institute जैसे संस्थानों से फैशन डिजाइनिंग में डिग्री या डिप्लोमा किया जा सकता है।


2. ऑनलाइन कोर्स – Udemy, Coursera, Skillshare जैसी वेबसाइटों पर ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध हैं।


3. इंटर्नशिप और प्रैक्टिस – फैशन इंडस्ट्री में अनुभव प्राप्त करने के लिए इंटर्नशिप और प्रोजेक्ट्स करने चाहिए।



फैशन डिजाइनिंग रचनात्मकता और इनोवेशन से भरा हुआ क्षेत्र है। यदि आपको ड्राइंग, रंग संयोजन, और स्टाइलिंग में रुचि है, तो यह करियर आपके लिए बेहतरीन हो सकता है।

टेक्सटाइल और फैब्रिक स्टडी का सम्पूर्ण ज्ञान


टेक्सटाइल (Textile) और फैब्रिक (Fabric) दोनों शब्द अक्सर एक-दूसरे के स्थान पर उपयोग किए जाते हैं, लेकिन इनमें थोड़ा अंतर होता है। टेक्सटाइल एक व्यापक शब्द है जिसमें विभिन्न प्रकार के कपड़े, धागे, और वस्त्र उत्पादन की पूरी प्रक्रिया शामिल होती है, जबकि फैब्रिक एक विशेष प्रकार का वस्त्र होता है जो सिलाई और गारमेंट बनाने के लिए उपयोग किया जाता है।


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1. टेक्सटाइल (Textile) क्या है?


टेक्सटाइल एक ऐसी सामग्री है जो धागों (Yarns) और फाइबर्स (Fibers) से बनाई जाती है और इसे बुनाई (Weaving), बुनकर निर्माण (Knitting), या अन्य विधियों द्वारा तैयार किया जाता है।


टेक्सटाइल के प्रमुख प्रकार


1. नेचुरल टेक्सटाइल (Natural Textile) – यह प्राकृतिक स्रोतों जैसे पौधों और जानवरों से प्राप्त होता है।

कॉटन (Cotton) – सूती कपड़ा, नरम और आरामदायक।

ऊन (Wool) – भेड़ से प्राप्त, सर्दियों में उपयोगी।

रेशम (Silk) – रेशम के कीड़ों से प्राप्त, चमकदार और मुलायम।

लिनेन (Linen) – फ्लैक्स पौधे से प्राप्त, हल्का और टिकाऊ।



2. सिंथेटिक टेक्सटाइल (Synthetic Textile) – ये रासायनिक प्रक्रियाओं से बनाए जाते हैं।


नाइलॉन (Nylon) – मजबूत, टिकाऊ और लचीला।

पॉलिएस्टर (Polyester) – पानी प्रतिरोधी और झुर्रियों से मुक्त।

ऐक्रेलिक (Acrylic) – ऊन जैसा दिखने वाला कृत्रिम फाइबर।

रेयन (Rayon) – सिल्क जैसी बनावट, लेकिन कृत्रिम।



3. ब्लेंडेड टेक्सटाइल (Blended Textile) – जब प्राकृतिक और सिंथेटिक फाइबर को मिलाकर बनाया जाता है।


पॉलिएस्टर-कॉटन (Poly-Cotton) – कॉटन की नरमी और पॉलिएस्टर की मजबूती का मिश्रण।

विस्कोस-नायलॉन (Viscose-Nylon) – हल्का और चमकदार टेक्सटाइल।





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2. फैब्रिक (Fabric) क्या है?


फैब्रिक वह तैयार कपड़ा होता है जिसे गारमेंट्स, होम डेकोर, और अन्य उपयोगों के लिए बनाया जाता है। इसे विभिन्न तरीकों से निर्मित किया जा सकता है।

फैब्रिक के निर्माण की विधियां

1. वूवन फैब्रिक (Woven Fabric) – इसे बुनाई की प्रक्रिया से बनाया जाता है।

प्लेन वीव (Plain Weave) – साधारण और मजबूत।

ट्विल वीव (Twill Weave) – तिरछे पैटर्न के साथ मजबूत।

सैटिन वीव (Satin Weave) – चमकदार और मुलायम।



2. निटेड फैब्रिक (Knitted Fabric) – इसे बुना जाता है और यह अधिक लचीला होता है।

वेलवेट (Velvet) – नरम और मोटा।

फ्लीस (Fleece) – गर्म और आरामदायक।



3. नॉन-वूवन फैब्रिक (Non-Woven Fabric) – इसे बुनाई के बिना चिपकाने या दबाने से बनाया जाता है।


फेल्ट (Felt) – दबाकर बनाया गया फैब्रिक।

स्पनबॉन्ड (Spunbond) – मास्क और मेडिकल उपयोग के लिए।



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3. टेक्सटाइल और फैब्रिक की विशेषताएँ


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4. टेक्सटाइल उद्योग में उपयोग


परिधान (Garments) – शर्ट, साड़ी, जैकेट, जींस।

होम डेकोर (Home Décor) – पर्दे, बेडशीट, कवर।

तकनीकी उपयोग (Technical Textiles) – मेडिकल मास्क, जियो-टेक्सटाइल।

खेल एवं एडवेंचर (Sports & Adventure) – स्पोर्ट्सवियर, टेंट, बैकपैक।



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5. टेक्सटाइल और फैब्रिक की देखभाल


कॉटन – हल्के डिटर्जेंट से धोना, ज्यादा धूप से बचाएं।

रेशम – केवल ड्राई क्लीनिंग करें।

ऊन – ठंडे पानी से हाथ से धोएं।

सिंथेटिक – सामान्य वॉशिंग मशीन में धो सकते हैं।


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निष्कर्ष


टेक्सटाइल और फैब्रिक अध्ययन न केवल डिजाइनिंग के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमें सही कपड़े चुनने और उनकी देखभाल करने में भी मदद करता है। फैशन और टेक्सटाइल इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए इसका गहरा ज्ञान आवश्यक है।

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फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस: करियर, स्किल्स और अवसर


फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस: करियर, स्किल्स और अवसर


फैशन डिजाइनिंग में टेक्सटाइल और फैब्रिक स्टडी


फैशन डिजाइनिंग एक रचनात्मक क्षेत्र है जिसमें कपड़ों, एक्सेसरीज़ और टेक्सटाइल के डिज़ाइन और निर्माण की प्रक्रिया शामिल होती है। अगर आप फैशन डिजाइनिंग सीखना चाहते हैं, तो इसके लिए एक विस्तृत सिलेबस होता है। नीचे आपको फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस हिंदी में दिया गया है।


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फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस


1. फैशन डिजाइनिंग का परिचय (Introduction to Fashion Designing)


फैशन का इतिहास और विकास

फैशन इंडस्ट्री की मूलभूत समझ

फैशन ट्रेंड्स और उनका विश्लेषण

प्रमुख फैशन डिजाइनर्स और उनके योगदान


2. टेक्सटाइल और फैब्रिक स्टडी (Textile & Fabric Study)


विभिन्न प्रकार के कपड़ों की जानकारी

फैब्रिक निर्माण और उसकी प्रक्रिया

नेचुरल और सिंथेटिक फैब्रिक

टेक्सटाइल फिनिशिंग और डाइंग (Dyeing & Printing)

कपड़ों की पहचान और उनके उपयोग


3. ड्राइंग और स्केचिंग (Drawing & Sketching)


बेसिक ड्राइंग तकनीक

ह्यूमन फिगर ड्राइंग

फैशन इलस्ट्रेशन (Fashion Illustration)

कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग (CAD for Fashion Designing)


4. पैटर्न मेकिंग और गारमेंट कंस्ट्रक्शन (Pattern Making & Garment Construction)


बॉडी मेजरमेंट लेना

पैटर्न ड्राफ्टिंग

सिलाई और कटिंग तकनीक

गारमेंट फिनिशिंग


5. फैशन मार्केटिंग और मर्चेंडाइजिंग (Fashion Marketing & Merchandising)


फैशन ब्रांडिंग और प्रमोशन

रिटेलिंग और फैशन बिजनेस

उपभोक्ता व्यवहार और फैशन मार्केट ट्रेंड

ई-कॉमर्स और ऑनलाइन फैशन मार्केटिंग


6. एम्ब्रॉयडरी और फैब्रिक डेकोरेशन (Embroidery & Fabric Decoration)


ट्रेडिशनल एम्ब्रॉयडरी तकनीकें

आधुनिक एम्ब्रॉयडरी और फैब्रिक सजावट

बीडवर्क और सेक्विन वर्क


7. पोशाकों का इतिहास और संस्कृति (History of Costumes & Culture)


भारतीय परिधान और उनका इतिहास

पश्चिमी परिधानों का विकास

विभिन्न संस्कृतियों में फैशन का प्रभाव


8. फैशन शो और पोर्टफोलियो डवलपमेंट (Fashion Show & Portfolio Development)


पोर्टफोलियो डिजाइनिंग

फैशन शो की योजना और आयोजन

मॉडल सिलेक्शन और स्टाइलिंग



9. फैशन टेक्नोलॉजी और डिजिटल डिजाइनिंग (Fashion Technology & Digital Designing)


एडवांस डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर (Photoshop, Illustrator, CorelDRAW)

3D फैशन डिजाइनिंग

AI और टेक्नोलॉजी का फैशन इंडस्ट्री में उपयोग


10. स्टाइलिंग और फैशन कोऑर्डिनेशन (Styling & Fashion Coordination)


पर्सनल स्टाइलिंग

सेलेब्रिटी स्टाइलिंग

फैशन फोटोग्राफी और एडिटिंग

फैशन डिजाइनिंग में करियर के अवसर

फैशन डिजाइनर

टेक्सटाइल डिजाइनर

फैशन स्टाइलिस्ट

फैशन मर्चेंडाइजर

फैशन ब्लॉगर

गारमेंट प्रोडक्शन मैनेजर


अगर आप फैशन डिजाइनिंग में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको एक अच्छे संस्थान से इसका कोर्स करना चाहिए। क्या आपको किसी खास संस्थान की जानकारी चाहिए?

फैशन डिजाइनिंग एक रचनात्मक क्षेत्र है जिसमें कपड़ों, एक्सेसरीज़ और टेक्सटाइल के डिज़ाइन और निर्माण की प्रक्रिया शामिल होती है। अगर आप फैशन डिजाइनिंग सीखना चाहते हैं, तो इसके लिए एक विस्तृत सिलेबस होता है। नीचे आपको फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस हिंदी में दिया गया है।


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फैशन डिजाइनिंग का पूरा सिलेबस


1. फैशन डिजाइनिंग का परिचय (Introduction to Fashion Designing)


फैशन का इतिहास और विकास

फैशन इंडस्ट्री की मूलभूत समझ

फैशन ट्रेंड्स और उनका विश्लेषण

प्रमुख फैशन डिजाइनर्स और उनके योगदान


2. टेक्सटाइल और फैब्रिक स्टडी (Textile & Fabric Study)


विभिन्न प्रकार के कपड़ों की जानकारी

फैब्रिक निर्माण और उसकी प्रक्रिया

नेचुरल और सिंथेटिक फैब्रिक

टेक्सटाइल फिनिशिंग और डाइंग (Dyeing & Printing)

कपड़ों की पहचान और उनके उपयोग


3. ड्राइंग और स्केचिंग (Drawing & Sketching)


बेसिक ड्राइंग तकनीक

ह्यूमन फिगर ड्राइंग

फैशन इलस्ट्रेशन (Fashion Illustration)

कंप्यूटर एडेड डिजाइनिंग (CAD for Fashion Designing)



4. पैटर्न मेकिंग और गारमेंट कंस्ट्रक्शन (Pattern Making & Garment Construction)


बॉडी मेजरमेंट लेना

पैटर्न ड्राफ्टिंग

सिलाई और कटिंग तकनीक

गारमेंट फिनिशिंग


5. फैशन मार्केटिंग और मर्चेंडाइजिंग (Fashion Marketing & Merchandising)


फैशन ब्रांडिंग और प्रमोशन

रिटेलिंग और फैशन बिजनेस

उपभोक्ता व्यवहार और फैशन मार्केट ट्रेंड

ई-कॉमर्स और ऑनलाइन फैशन मार्केटिंग


6. एम्ब्रॉयडरी और फैब्रिक डेकोरेशन (Embroidery & Fabric Decoration)


ट्रेडिशनल एम्ब्रॉयडरी तकनीकें

आधुनिक एम्ब्रॉयडरी और फैब्रिक सजावट

बीडवर्क और सेक्विन वर्क


7. पोशाकों का इतिहास और संस्कृति (History of Costumes & Culture)


भारतीय परिधान और उनका इतिहास

पश्चिमी परिधानों का विकास

विभिन्न संस्कृतियों में फैशन का प्रभाव



8. फैशन शो और पोर्टफोलियो डवलपमेंट (Fashion Show & Portfolio Development)


पोर्टफोलियो डिजाइनिंग

फैशन शो की योजना और आयोजन

मॉडल सिलेक्शन और स्टाइलिंग


9. फैशन टेक्नोलॉजी और डिजिटल डिजाइनिंग (Fashion Technology & Digital Designing)


एडवांस डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर (Photoshop, Illustrator, CorelDRAW)

3D फैशन डिजाइनिंग

AI और टेक्नोलॉजी का फैशन इंडस्ट्री में उपयोग


10. स्टाइलिंग और फैशन कोऑर्डिनेशन (Styling & Fashion Coordination)


पर्सनल स्टाइलिंग

सेलेब्रिटी स्टाइलिंग

फैशन फोटोग्राफी और एडिटिंग

फैशन डिजाइनिंग में करियर के अवसर

फैशन डिजाइनर

टेक्सटाइल डिजाइनर

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गारमेंट प्रोडक्शन मैनेजर



अगर आप फैशन डिजाइनिंग में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपको एक अच्छे संस्थान से इसका कोर्स करना चाहिए। क्या आपको किसी खास संस्थान की जानकारी चाहिए?


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"फैशन इंडस्ट्री में सफल होने के लिए इन टिप्स को पढ़ें"



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CorelDRAW में फैशन डिज़ाइन करने की स्टेप-बाय-स्टेप जानकारी

CorelDRAW 

डिजिटल कैनवास पर फैशन डिज़ाइन का एक रचनात्मक चित्रण, जिसमें एक महिला मॉडल पर डिज़ाइनर ड्रेस की स्केचिंग दिखाई गई है। इमेज में CorelDRAW और Adobe Photoshop के टूल्स, लेयर्स और कलर पैलेट भी दिखाए गए हैं, जो डिजिटल फैशन डिज़ाइनिंग को दर्शाते हैं।




एक पॉपुलर वेक्टर ग्राफिक्स डिज़ाइन सॉफ़्टवेयर है, जिसका उपयोग ग्राफिक्स डिज़ाइन, लोगो डिज़ाइन, पोस्टर, बैनर, विज़िटिंग कार्ड, और अन्य विज़ुअल कंटेंट बनाने के लिए किया जाता है। अगर आप फैशन डिज़ाइन के लिए CorelDRAW का उपयोग करना चाहते हैं, तो आपको इसके कुछ प्रमुख टूल्स और फीचर्स की जानकारी होनी चाहिए।

CorelDRAW में फैशन डिज़ाइन करने की स्टेप-बाय-स्टेप जानकारी


1. CorelDRAW इंटरफेस समझें


CorelDRAW खोलने के बाद आपको कई महत्वपूर्ण पैनल्स और टूल्स मिलेंगे, जैसे:

मेनू बार: जहां सभी मुख्य ऑप्शन उपलब्ध होते हैं

टूलबॉक्स: ड्रॉइंग और एडिटिंग टूल्स

कलर पैनल: कलर सिलेक्शन और कस्टमाइज़ेशन

लेयर्स पैनल: ऑब्जेक्ट्स को मैनेज करने के लिए


2. फैशन स्केचिंग के लिए ज़रूरी टूल्स

Bezier Tool: फ्रीहैंड डिज़ाइन और आउटलाइन बनाने के लिए

Pen Tool: सटीक आकृतियाँ बनाने के लिए

Shape Tool: आकृतियों को एडिट करने के लिए

Transparency Tool: ट्रांसपेरेंसी और फैब्रिक इफ़ेक्ट जोड़ने के लिए

Gradient Tool: कलर ट्रांज़ीशन और शेडिंग इफ़ेक्ट के लिए

Mesh Fill Tool: रियलिस्टिक फैब्रिक टेक्सचर क्रिएट करने के लिए


3. फैशन इलस्ट्रेशन और ड्रेपिंग डिजाइनिंग

1. Basic Sketch बनाएं:

पहले बॉडी मेजरमेंट के अनुसार एक मैनकिन (Fashion Figure) बनाएं।

Bezier या Pen Tool से आउटलाइन बनाएं।



2. Garment Outline:

नई लेयर पर ड्रेस की बेसिक शेप ड्रॉ करें।

Shape Tool से फिटिंग और सिल्हूट को एडजस्ट करें।



3. Fabric Texture और कलर:

Mesh Fill Tool का उपयोग करके फैब्रिक इफ़ेक्ट दें।

Transparency Tool से रियलिस्टिक शेडिंग जोड़ें।



4. डिज़ाइन डिटेल्स जोड़ें:

ज़री वर्क, पैटर्न, बटन, ज़िपर आदि जोड़ने के लिए Interactive Fill और Artistic Media Tool का उपयोग करें।



5. Background और Presentation:

बैकग्राउंड जोड़कर प्रेजेंटेशन आकर्षक बनाएं।

Export ऑप्शन से PNG, JPEG या PDF फॉर्मेट में सेव करें।




4. फैशन डिज़ाइनिंग में एडवांस टेक्नीक्स

Seam और Stitching Details: Pen Tool और Dashed Lines का उपयोग करें।

Layer Management: ड्रेस के अलग-अलग पार्ट्स को अलग लेयर्स में रखें।

Pattern Design: Object → PowerClip का उपयोग करें।

3D Effects: Blend Tool से 3D इफ़ेक्ट क्रिएट करें।

Adobe Photoshop की पूरी जानकारी (हिंदी में)

Adobe Photoshop एक पावरफुल इमेज एडिटिंग और ग्राफिक्स डिजाइनिंग सॉफ्टवेयर है। इसका उपयोग फोटो एडिटिंग, डिजिटल पेंटिंग, बैनर डिजाइन, वेब डिजाइन, 3D मॉडलिंग, एनिमेशन और फैशन डिजाइनिंग में किया जाता है।

अगर आप Photoshop सीखना चाहते हैं, तो आपको इसके इंटरफेस, टूल्स, लेयर्स, फिल्टर्स, एडिटिंग टेक्नीक्स और एक्सपोर्ट ऑप्शन्स की पूरी जानकारी होनी चाहिए। आइए इसे स्टेप-बाय-स्टेप समझते हैं।


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1. Adobe Photoshop का इंटरफेस समझें

जब आप Photoshop ओपन करते हैं, तो आपको ये मुख्य भाग दिखेंगे:

1. Menu Bar – फाइल, एडिट, इमेज, लेयर, फिल्टर, व्यू आदि


2. Toolbar – टूल्स जैसे मूव, सेलेक्शन, ब्रश, इरेज़र आदि


3. Options Bar – सेलेक्टेड टूल के ऑप्शन्स दिखाने के लिए


4. Layers Panel – इमेज को मैनेज करने के लिए


5. Color & Swatches Panel – कलर और शेड्स चुनने के लिए


6. Properties Panel – एडिटिंग सेटिंग्स दिखाने के लिए




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2. Photoshop के ज़रूरी टूल्स और उनका उपयोग

A. Selection Tools (चयन टूल्स)

Move Tool (V): ऑब्जेक्ट को मूव करने के लिए

Marquee Tool (M): स्क्वायर और सर्कुलर सिलेक्शन बनाने के लिए

Lasso Tool (L): फ्रीहैंड सिलेक्शन के लिए

Magic Wand Tool (W): एक जैसे कलर वाले एरिया को सेलेक्ट करने के लिए


B. Editing और Painting Tools

Brush Tool (B): डिजिटल पेंटिंग और फोटो रिटचिंग के लिए

Eraser Tool (E): किसी एरिया को मिटाने के लिए

Clone Stamp Tool (S): इमेज के किसी हिस्से को कॉपी करके एडिटिंग के लिए

Gradient Tool (G): बैकग्राउंड और कलर ट्रांज़िशन बनाने के लिए


C. Retouching Tools (फोटो एडिटिंग के लिए)

Spot Healing Brush Tool (J): पिंपल्स, दाग-धब्बे हटाने के लिए

Dodge & Burn Tool (O): इमेज को ब्राइट या डार्क करने के लिए

Blur & Sharpen Tool: इमेज को स्मूद या शार्प करने के लिए


D. Text & Shape Tools

Text Tool (T): फोटो पर टेक्स्ट लिखने के लिए

Shape Tool (U): रेक्टेंगल, सर्कल, लाइन जैसी आकृतियां बनाने के लिए



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3. लेयर्स (Layers) का उपयोग

लेयर्स Photoshop का सबसे ज़रूरी फीचर है। यह इमेज एडिटिंग को आसान और प्रोफेशनल बनाता है।

Background Layer: बैकग्राउंड एडिट करने के लिए

Adjustment Layer: कलर और ब्राइटनेस एडजस्ट करने के लिए

Masking Layer: नॉन-डिस्ट्रक्टिव एडिटिंग के लिए

Smart Object: इमेज को बिना क्वालिटी खोए एडिट करने के लिए



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4. फोटो एडिटिंग स्टेप-बाय-स्टेप

1. इमेज ओपन करें (File → Open)


2. अनवांटेड पार्ट हटाएं (Spot Healing या Clone Stamp Tool से)


3. कलर करेक्शन करें (Adjustment Layers का उपयोग करें)


4. Background Remove करें (Select Subject + Masking या Pen Tool)


5. इफेक्ट्स और फिल्टर्स लगाएं (Filter Menu से)


6. शार्पनेस और ब्राइटनेस एडजस्ट करें


7. फाइनल इमेज सेव करें (File → Save As → PNG/JPEG/PSD)




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5. एडवांस Photoshop टेक्नीक्स

Double Exposure Effect: दो इमेज को मिलाकर क्रिएटिव इफेक्ट बनाना

Photo Manipulation: इमेज को पूरी तरह से बदलना

3D Text Effect: टेक्स्ट को 3D में कन्वर्ट करना

Dispersion Effect: फोटो को टूटते हुए इफेक्ट में बदलना

Neon Glow Effect: टेक्स्ट या ऑब्जेक्ट्स को ग्लोइंग बनाना



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6. Photoshop Shortcuts (तेज़ी से काम करने के लिए)


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7. Photoshop में एक्सपोर्ट ऑप्शन्स

PNG: ट्रांसपेरेंट बैकग्राउंड के लिए

JPEG: हाई-क्वालिटी इमेज के लिए

PSD: फाइल को एडिटेबल लेयर्स के साथ सेव करने के लिए

TIFF: प्रिंटिंग के लिए बेस्ट क्वालिटी फॉर्मेट

GIF: एनिमेटेड इमेज के लिए



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निष्कर्ष

Photoshop एक प्रोफेशनल और पावरफुल टूल है, जिसका उपयोग फोटो एडिटिंग, ग्राफिक्स डिजाइनिंग, वेब डिजाइनिंग, फैशन डिज़ाइन और डिजिटल आर्ट में किया जाता है। इसे सीखने के लिए प्रैक्टिस और क्रिएटिविटी ज़रूरी है।

अगर आप Photoshop सीखना चाहते हैं, तो कौन सा टॉपिक सबसे ज़्यादा इंटरेस्टिंग लगता है? मैं उस पर और डिटेल में बता सकता हूँ!


निष्कर्ष

अगर आप फैशन डिजाइनिंग में प्रोफेशनल बनना चाहते हैं, तो CorelDRAW एक बेहतरीन टूल है। प्रैक्टिस के साथ आप अपने डिज़ाइन्स को बेहतर बना सकते हैं और डिज़ाइन इंडस्ट्री में एक अच्छा करियर बना सकते हैं।

क्या आप किसी खास टॉपिक पर ज्यादा जानकारी चाहते हैं?

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सिलाई मशीन का इतिहास

सिलाई मशीन का इतिहास





सिलाई मशीन (Sewing Machine) का आविष्कार कपड़ों को तेजी से और सुचारू रूप से सिलने के लिए किया गया था। सिलाई मशीन ने कपड़ा उद्योग में क्रांति ला दी और घरेलू सिलाई को भी आसान बना दिया।

सिलाई मशीन का प्रारंभिक इतिहास

कपड़े सिलने की प्रक्रिया प्राचीन काल से चली आ रही है, लेकिन इसे मशीन द्वारा करने का विचार 18वीं शताब्दी में आया।

1. पहली सिलाई मशीन का विचार (1755)

अंग्रेज़ आविष्कारक चार्ल्स वेइसेंथल (Charles Weisenthal) ने पहली बार एक विशेष प्रकार की सुई का पेटेंट कराया।


2. पहली सफल सिलाई मशीन (1790)

थॉमस सेंट (Thomas Saint) नामक अंग्रेज़ आविष्कारक ने पहली यांत्रिक सिलाई मशीन का पेटेंट कराया।

यह मशीन चमड़े और भारी कपड़ों की सिलाई के लिए बनाई गई थी।


19वीं शताब्दी में सिलाई मशीन का विकास

3. बर्थेलमी थिमोनिए (Barthelemy Thimonnier) - 1830

फ्रांस के थिमोनिए ने पहली व्यावसायिक सिलाई मशीन बनाई।

यह मशीन कढ़ाई के लिए एकल धागे की जंजीर सिलाई (Chain Stitch) करती थी।

फ्रांसीसी दर्जियों ने इसे खतरा समझा और उनकी फैक्ट्री को जला दिया।


4. वॉल्टर हंट (Walter Hunt) - 1834

अमेरिकी आविष्कारक हंट ने पहली दो धागों वाली सिलाई मशीन बनाई।

उन्होंने इसे पेटेंट नहीं कराया, इसलिए इसे ज्यादा प्रसिद्धि नहीं मिली।


5. एलियास होवे (Elias Howe) - 1846

उन्होंने लॉक स्टिच (Lock Stitch) सिलाई मशीन का पेटेंट कराया।

उनकी मशीन में ऊपर और नीचे दो धागे थे, जिससे मजबूत सिलाई होती थी।


6. आइजैक सिंगर (Isaac Singer) - 1851

सिंगर ने सिलाई मशीन में पैर से चलने वाला पैडल (Treadle) जोड़ा।

उनकी मशीन उपयोग में आसान थी, जिससे यह बहुत लोकप्रिय हुई।


20वीं शताब्दी और आधुनिक सिलाई मशीनें

1900 के बाद: इलेक्ट्रिक सिलाई मशीनों का विकास हुआ।

1950 के दशक में: स्वचालित (Automatic) सिलाई मशीनें आईं।

आज: कंप्यूटराइज्ड और डिजिटल सिलाई मशीनें प्रचलित हैं, जिनमें कई सिलाई पैटर्न और सुविधाएँ होती हैं।


भारत में सिलाई मशीन का आगमन

ब्रिटिश शासन के दौरान सिलाई मशीनें भारत में आईं।

1940 के दशक में भारत में पहली स्थानीय सिलाई मशीन फैक्ट्री स्थापित हुई।

आज भारत में कई कंपनियाँ जैसे Usha, Singer, Brother, Juki, Bernina आदि सिलाई मशीनें बनाती हैं।

सिलाई मशीन के प्रकार और उनकी पूरी जानकारी

सिलाई मशीन कई प्रकार की होती हैं, जो उनकी बनावट, उपयोग और कार्यक्षमता पर निर्भर करती हैं। ये मशीनें घरेलू और औद्योगिक जरूरतों के हिसाब से अलग-अलग होती हैं।

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1. हैंड ऑपरेटेड सिलाई मशीन (Hand Operated Sewing Machine)

विशेषताएँ:

इसे हाथ से घुमा कर चलाया जाता है।

इसमें एक पहिया (wheel) होता है, जिसे घुमा कर सिलाई की जाती है।

यह साधारण सिलाई कार्यों के लिए उपयुक्त होती है।

इसे चलाने के लिए बिजली की जरूरत नहीं होती।


उपयोग:

घरेलू उपयोग के लिए।

छोटे कपड़ों की मरम्मत और साधारण सिलाई के लिए।

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2. पैडल सिलाई मशीन (Treadle Sewing Machine)

विशेषताएँ:

इसे पैरों की मदद से चलाया जाता है।

इसमें एक पैडल (foot pedal) होता है, जिसे दबाने से मशीन चलती है।

यह हाथों को स्वतंत्र रखती है, जिससे सिलाई आसान हो जाती है।

बिजली के बिना भी इसका उपयोग किया जा सकता है।


उपयोग:

घरेलू और छोटे दर्जी (Tailoring) कार्यों के लिए।

जहां बिजली उपलब्ध नहीं होती वहां उपयोगी।

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3. इलेक्ट्रिक सिलाई मशीन (Electric Sewing Machine)

विशेषताएँ:

यह बिजली से चलती है और बहुत तेज होती है।

इसमें मोटर लगी होती है, जिससे सिलाई आसान और तेज हो जाती है।

इसमें अलग-अलग प्रकार के सिलाई पैटर्न और फीचर्स होते हैं।

घर और छोटे व्यवसायों के लिए उपयुक्त होती है।


उपयोग:

तेज और सुचारू सिलाई के लिए।

विभिन्न डिजाइनों और सिलाई पैटर्न के लिए।

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4. ऑटोमैटिक सिलाई मशीन (Automatic Sewing Machine)

विशेषताएँ:

इसमें ऑटोमेटिक फंक्शन होते हैं, जिससे सिलाई आसान हो जाती है।

अलग-अलग प्रकार की सिलाई जैसे ज़िगज़ैग, कढ़ाई, हेमिंग, बटन सिलाई आदि कर सकती है।

LCD स्क्रीन और बटन कंट्रोल के साथ आती है।


उपयोग:

पेशेवर टेलरिंग और बुटीक कार्यों के लिए।

सिलाई सीखने और डिजाइनिंग के लिए।

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5. कंप्यूटराइज्ड सिलाई मशीन (Computerized Sewing Machine)

विशेषताएँ:

यह पूरी तरह से कंप्यूटर-नियंत्रित होती है।

इसमें 100+ सिलाई डिज़ाइन और ऑटोमेटिक कटिंग सिस्टम होते हैं।

USB और डिजिटल स्क्रीन की सुविधा होती है।

बड़े सिलाई उद्योगों और फैशन डिज़ाइनिंग के लिए उपयुक्त।


उपयोग:

फैशन डिजाइनिंग और बड़े प्रोजेक्ट्स में।

जटिल कढ़ाई और पैटर्न बनाने के लिए।

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6. ओवरलॉक सिलाई मशीन (Overlock Sewing Machine / Serger Machine)

विशेषताएँ:

यह कपड़े के किनारों को सिलने और काटने के लिए उपयोग होती है।

इसका उपयोग कपड़े को फिनिशिंग टच देने के लिए किया जाता है।

यह कपड़े को उधड़ने से बचाती है।


उपयोग:

इंडस्ट्रियल और गारमेंट फैक्ट्री में।

ट्राउजर, शर्ट, टी-शर्ट और अन्य कपड़ों के फिनिशिंग में।

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7. एम्ब्रॉयडरी सिलाई मशीन (Embroidery Sewing Machine)

विशेषताएँ:

यह विशेष रूप से कढ़ाई (Embroidery) करने के लिए बनाई गई है।

इसमें कई तरह के कढ़ाई डिज़ाइन प्रोग्राम किए जा सकते हैं।

यह कंप्यूटराइज्ड भी हो सकती है।


उपयोग:

बुटीक और फैशन डिजाइनिंग में।

कढ़ाई वाले कपड़े बनाने के लिए।

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8. इंडस्ट्रियल सिलाई मशीन (Industrial Sewing Machine)

विशेषताएँ:

यह भारी कामों के लिए बनी होती है।

यह तेज गति से और लंबे समय तक लगातार काम कर सकती है।

विभिन्न प्रकारों में उपलब्ध होती है जैसे स्ट्रेट स्टिच, जिगजैग, बॉक्स स्टिच आदि।


उपयोग:

बड़े पैमाने पर कपड़ों की सिलाई के लिए।

गारमेंट इंडस्ट्री और फैक्ट्रियों में।

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9. ब्लाइंड स्टिच सिलाई मशीन (Blind Stitch Sewing Machine)

विशेषताएँ:

यह सिलाई को कम दिखाई देने वाली (Invisible Stitch) बनाती है।

इसका उपयोग खासतौर पर हेमिंग (Hemming) के लिए किया जाता है।


उपयोग:

ब्लेज़र, पैंट, और जैकेट के सिलाई कार्यों में।

जहां हेमिंग को छुपाना होता है।



निष्कर्ष

सिलाई मशीन का आविष्कार इंसान की सबसे उपयोगी खोजों में से एक है। इससे कपड़ा उद्योग में क्रांति आई और घरेलू स्तर पर भी यह बहुत उपयोगी साबित हुई। आज की आधुनिक सिलाई मशीनें बहुत उन्नत हैं, जिनसे सिलाई, कढ़ाई और डिजाइनिंग आसानी से की जा सकती है।


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फैशन डिज़ाइन में इंटर्नशिप का महत्व


फैशन डिज़ाइन में इंटर्नशिप का महत्व



 


फैशन डिज़ाइन एक रचनात्मक और व्यावहारिक क्षेत्र है, जिसमें केवल सैद्धांतिक ज्ञान ही पर्याप्त नहीं होता। इसमें प्रैक्टिकल अनुभव बहुत मायने रखता है, और यही कारण है कि इंटर्नशिप (इंटर्नशिप या प्रशिक्षण कार्यक्रम) का फैशन इंडस्ट्री में बहुत बड़ा महत्व है।

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1. इंटर्नशिप क्या होती है?

इंटर्नशिप एक प्रकार का प्रशिक्षण प्रोग्राम होता है, जिसमें विद्यार्थी या नए प्रोफेशनल किसी फैशन ब्रांड, डिजाइनर या कंपनी के साथ काम करके व्यावहारिक अनुभव प्राप्त करते हैं। यह एक सीमित समय (3 से 6 महीने या उससे अधिक) के लिए होता है और इसमें स्टाइपेंड (वेतन) मिल सकता है या बिना वेतन भी हो सकता है।

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2. फैशन डिज़ाइन में इंटर्नशिप का महत्व

1. वास्तविक कार्य अनुभव (Real Work Experience)

इंटर्नशिप के दौरान छात्र फैशन इंडस्ट्री के वास्तविक काम को समझते हैं। वे फैब्रिक्स, सिलाई तकनीकों, पैटर्न मेकिंग, ड्रेपिंग, कलेक्शन डिवेलपमेंट और अन्य महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं को करीब से सीखते हैं।

2. इंडस्ट्री की समझ (Industry Exposure)

इंटर्नशिप करने से आपको फैशन इंडस्ट्री के रुझान (trends), ग्राहक की पसंद और बाजार की मांग के बारे में जानकारी मिलती है।

3. नेटवर्किंग और संपर्क (Networking & Connections)

इस क्षेत्र में अच्छे संपर्क बहुत मायने रखते हैं। इंटर्नशिप के दौरान आप बड़े डिजाइनर्स, फैशन ब्रांड्स, टेक्सटाइल निर्माताओं और अन्य पेशेवरों से जुड़ सकते हैं, जिससे आपके करियर के अवसर बढ़ते हैं।

4. पोर्टफोलियो को मजबूत बनाना (Building a Strong Portfolio)

इंटर्नशिप के दौरान बनाए गए डिज़ाइन्स और प्रोजेक्ट्स आपके पोर्टफोलियो में शामिल किए जा सकते हैं, जिससे जॉब पाने में आसानी होती है।

5. नौकरी पाने के अधिक अवसर (Better Job Prospects)

अच्छी इंटर्नशिप करने के बाद कई बार कंपनियां आपको परमानेंट जॉब का ऑफर भी दे सकती हैं।

6. सॉफ्ट स्किल्स में सुधार (Soft Skills Development)

इंटर्नशिप से कम्युनिकेशन स्किल्स, टीम वर्क, प्रॉब्लम सॉल्विंग और टाइम मैनेजमेंट जैसे कौशल विकसित होते हैं, जो प्रोफेशनल लाइफ में मददगार होते हैं।


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3. फैशन डिज़ाइन में इंटर्नशिप कहां और कैसे करें?

1. फैशन डिज़ाइन ब्रांड्स और कंपनियां

मनीष मल्होत्रा, सब्यसाची, रितु कुमार जैसे टॉप डिजाइनर्स

एडिडास, नाइकी, ज़ारा, एचएंडएम जैसे इंटरनेशनल ब्रांड्स

फैबइंडिया, तनिश्क, वेस्टसाइड जैसी भारतीय कंपनियां


2. ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से आवेदन करें

Internshala (www.internshala.com)

LinkedIn (www.linkedin.com)

Indeed (www.indeed.com)

Glassdoor (www.glassdoor.com)


3. फैशन कॉलेज और इंस्टीट्यूट की मदद लें

अगर आप NIFT, Pearl Academy, JD Institute, INIFD जैसे फैशन संस्थानों से जुड़े हैं, तो वहां प्लेसमेंट सेल से भी इंटर्नशिप के अवसर मिल सकते हैं।

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4. सफल इंटर्नशिप के लिए टिप्स

रचनात्मकता दिखाएं – नए और इनोवेटिव डिज़ाइन्स पर काम करें।
✅ सीखने का नजरिया रखें – हर छोटे-बड़े काम को सीखने की कोशिश करें।
✅ टाइम मैनेजमेंट सीखें – समय पर काम पूरा करें और डेडलाइन को फॉलो करें।
✅ प्रोफेशनल बने रहें – अपने सीनियर्स और टीम के साथ अच्छे संबंध बनाएं।
✅ पोर्टफोलियो अपडेट करें – अपने बेहतरीन प्रोजेक्ट्स को जोड़ते रहें।

फैशन डिजाइनिंग में इंटर्नशिप करने से आपको इंडस्ट्री का व्यावहारिक ज्ञान मिलता है और करियर की अच्छी शुरुआत होती है। यहाँ फैशन इंटर्नशिप से जुड़ी पूरी जानकारी दी गई है:

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1. फैशन इंटर्नशिप क्या होती है?

इंटर्नशिप एक प्रकार की अस्थायी नौकरी होती है, जिसमें छात्रों या नए पेशेवरों को किसी फैशन कंपनी, डिजाइनर या ब्रांड के साथ काम करने का मौका मिलता है। इससे इंडस्ट्री में अनुभव और नए स्किल्स सीखने को मिलते हैं।

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2. फैशन इंटर्नशिप के प्रकार

1. फैशन डिजाइन इंटर्नशिप – ड्राइंग, पैटर्न मेकिंग, सिलाई, टेक्सटाइल वर्क आदि सीखने को मिलता है।


2. स्टाइलिंग इंटर्नशिप – मॉडल्स, शूट्स और कलेक्शन को स्टाइल करना सिखाया जाता है।


3. फैशन मार्केटिंग और ब्रांडिंग – फैशन बिजनेस, सोशल मीडिया और मार्केटिंग स्किल्स पर काम किया जाता है।


4. मर्चेंडाइजिंग इंटर्नशिप – स्टोर मैनेजमेंट, प्रोडक्ट डिस्प्ले, खरीद-फरोख्त और सेल्स पर ध्यान दिया जाता है।


5. फैशन पत्रकारिता और कंटेंट क्रिएशन – फैशन ब्लॉग्स, मैगज़ीन और सोशल मीडिया के लिए कंटेंट लिखना।

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3. इंटर्नशिप के लिए आवश्यक स्किल्स

क्रिएटिविटी और डिजाइनिंग स्किल्स

ड्राइंग और स्केचिंग का ज्ञान

कपड़ों और टेक्सटाइल की समझ

सिलाई और पैटर्न मेकिंग का अनुभव

सॉफ्टवेयर स्किल्स (Adobe Illustrator, Photoshop, CorelDraw)

टाइम मैनेजमेंट और मल्टीटास्किंग

कम्युनिकेशन और टीमवर्क

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4. फैशन इंटर्नशिप कहां से करें?

1. फैशन डिजाइनर और ब्रांड्स – मनीष मल्होत्रा, सब्यसाची, अनीता डोंगरे जैसे डिजाइनर्स के साथ इंटर्नशिप कर सकते हैं।


2. फैशन हाउस और कंपनियां – एच एंड एम, ज़ारा, लुई वुइटन, गुच्ची, नाइकी आदि कंपनियों में अवसर मिलते हैं।


3. फैशन मैगज़ीन और मीडिया – वोग, एले, हार्पर बाजार में फैशन जर्नलिज्म और कंटेंट क्रिएशन इंटर्नशिप कर सकते हैं।


4. ई-कॉमर्स वेबसाइट्स – मिंत्रा, नायका, अजियो, अमेज़न जैसे प्लेटफार्म फैशन मार्केटिंग इंटर्नशिप देते हैं।

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5. फैशन इंटर्नशिप पाने के लिए क्या करें?

(i) पोर्टफोलियो बनाएं

अपने डिजाइन्स, स्केच, स्टाइलिंग प्रोजेक्ट्स, और फैशन आइडियाज को एक पोर्टफोलियो में रखें।

(ii) रिज्यूमे और कवर लेटर तैयार करें

अपने स्किल्स, अनुभव और रुचि को हाइलाइट करें।

कवर लेटर में बताएं कि आप कंपनी के लिए कैसे उपयोगी हो सकते हैं।


(iii) ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर आवेदन करें

इंटर्नशाला (Internshala)

नौकरी.कॉम (Naukri.com)

लिंक्डइन (LinkedIn)

ग्लासडोर (Glassdoor)

कंपनियों की आधिकारिक वेबसाइट्स


(iv) नेटवर्किंग करें

फैशन शो, वर्कशॉप और सेमिनार में भाग लें।

इंस्टाग्राम और लिंक्डइन पर फैशन डिजाइनर्स को फॉलो करें और कनेक्शन बनाएं।

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6. इंटर्नशिप के फायदे

✅ रियल-लाइफ एक्सपीरियंस – इंडस्ट्री में कैसे काम होता है, इसकी समझ मिलती है।
✅ पोर्टफोलियो में सुधार – अपने वर्क सैंपल्स को मजबूत बना सकते हैं।
✅ नेटवर्किंग के अवसर – इंडस्ट्री के बड़े लोगों से मिलने और सीखने का मौका मिलता है।
✅ जॉब पाने की संभावना – अगर अच्छा काम करते हैं तो कंपनी जॉब ऑफर भी कर सकती है।

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7. इंटर्नशिप के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें

✔ समय का पालन करें – प्रोफेशनल तरीके से काम करें।
✔ सीखने का नजरिया रखें – नए आइडियाज और ट्रेंड्स को अपनाने के लिए तैयार रहें।
✔ टीम के साथ तालमेल बिठाएं – अच्छे रिलेशन बनाने से भविष्य में मदद मिलती है।
✔ फीडबैक लें – अपने सीनियर्स से राय लें और अपने स्किल्स को सुधारें।

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निष्कर्ष

फैशन डिज़ाइन में इंटर्नशिप का बहुत बड़ा महत्व है क्योंकि यह न केवल आपके कौशल को निखारती है, बल्कि करियर में सफलता पाने के लिए मजबूत नींव भी रखती है। यदि आप एक सफल फैशन डिज़ाइनर बनना चाहते हैं, तो एक अच्छी इंटर्नशिप आपकी जर्नी का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हो सकती है।

अगर आपको इंटर्नशिप से जुड़ी कोई और जानकारी चाहिए, तो बताइए!

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बुटीक (Boutique) शुरू करने की पूरी जानकारी हिंदी में

बुटीक (Boutique) शुरू करने की पूरी जानकारी हिंदी में




अगर आप अपना खुद का बुटीक शुरू करना चाहते हैं, तो यह गाइड आपकी पूरी मदद करेगी। यहाँ हम बुटीक खोलने की हर जरूरी जानकारी देंगे, जैसे कि निवेश, लोकेशन, लाइसेंस, मार्केटिंग, और मुनाफे के तरीके।


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1. बुटीक क्या है?

बुटीक एक ऐसा स्टोर होता है जहाँ खास डिज़ाइनर कपड़े, एक्सेसरीज़, और अन्य फैशन आइटम बेचे जाते हैं। यह बड़े शोरूम से अलग होता है क्योंकि इसमें सीमित और यूनिक कलेक्शन होता है।


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2. बुटीक शुरू करने के लिए जरूरी चीजें

(A) बिजनेस प्लान बनाएं

टारगेट ऑडियंस: किस प्रकार के ग्राहकों के लिए कपड़े डिज़ाइन करेंगे? (महिलाएं, पुरुष, बच्चे, ब्राइडल वियर, ट्रेडिशनल वियर, आदि)

लोकेशन: सही जगह चुनें (शॉपिंग मॉल, बाज़ार, ऑनलाइन, होम-बेस्ड बुटीक)

इन्वेस्टमेंट: आपका बजट कितना है? (₹50,000 से ₹5 लाख तक लग सकता है)

सप्लायर्स और मटेरियल: थोक में कपड़े कहां से लेंगे?


(B) रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस

GST रजिस्ट्रेशन: ₹40 लाख से ज्यादा टर्नओवर होने पर जरूरी

शॉप एक्ट लाइसेंस: अगर आप किराये की दुकान ले रहे हैं

ब्रांड नाम रजिस्ट्रेशन: बुटीक का नाम यूनिक और आकर्षक होना चाहिए


(C) बुटीक के लिए आवश्यक सामान

कपड़े और एक्सेसरीज़: ट्रेंडी और क्वालिटी मटेरियल चुनें

डिजाइनिंग टूल्स: सिलाई मशीन, कपड़े काटने के उपकरण

इंटीरियर डिजाइन: अच्छा डिस्प्ले और लाइटिंग

ट्रायल रूम और मिरर: ग्राहकों के लिए



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3. बुटीक खोलने का खर्चा और मुनाफा

(A) निवेश की लागत

(B) संभावित मुनाफा

यदि आप हर दिन ₹5,000 की बिक्री करते हैं और 30% मुनाफा रखते हैं, तो
मासिक मुनाफा = ₹45,000 - ₹1 लाख तक हो सकता है।



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4. बुटीक के लिए कपड़े कहां से खरीदें?

दिल्ली: चांदनी चौक, गांधी नगर

मुंबई: हाजी अली, लोअर परेल

जयपुर: जौहरी बाज़ार, त्रिपोलिया बाज़ार

सूरत: टेक्सटाइल मार्केट

कोलकाता: बारा बाज़ार



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5. बुटीक के लिए मार्केटिंग और प्रमोशन

सोशल मीडिया: इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप पर प्रमोशन करें

ऑनलाइन स्टोर: अपनी वेबसाइट या Amazon, Flipkart पर लिस्टिंग करें

लोकल मार्केटिंग: फ्लायर्स, बैनर और वर्ड-ऑफ-माउथ प्रचार करें

इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग: फैशन ब्लॉगर्स और इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर्स से प्रमोट करवाएं



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6. बुटीक बिजनेस के लिए जरूरी टिप्स

ट्रेंड्स पर नजर रखें: हमेशा नए डिजाइनों को शामिल करें

क्वालिटी बनाए रखें: ग्राहक का भरोसा जीतने के लिए

अच्छी कस्टमर सर्विस दें: कस्टमर को संतुष्ट करें

सेल्स और डिस्काउंट ऑफर करें: ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए



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निष्कर्ष:

अगर आप सही प्लानिंग और स्मार्ट वर्क के साथ बुटीक खोलते हैं, तो यह बहुत प्रॉफिटेबल बिजनेस साबित हो सकता है। सबसे जरूरी चीज है – ट्रेंडी कपड़ों का अच्छा कलेक्शन और बेहतरीन कस्टमर सर्विस।

अगर आपको और जानकारी चाहिए या किसी खास टॉपिक पर विस्तार से जानना है, तो बताएं!


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फ़ैशन इंडस्ट्री की पूरी जानकारी

फ़ैशन इंडस्ट्री की पूरी जानकारी





फ़ैशन इंडस्ट्री एक वैश्विक उद्योग है, जो कपड़ों, परिधानों, जूतों, गहनों, सौंदर्य प्रसाधनों और लाइफस्टाइल उत्पादों के डिज़ाइन, निर्माण, मार्केटिंग और बिक्री से जुड़ा है। यह उद्योग रचनात्मकता, सांस्कृतिक प्रवृत्तियों और व्यापार का मिश्रण है।


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1. फैशन इंडस्ट्री के मुख्य घटक (Main Components of Fashion Industry)

1. डिज़ाइनिंग (Designing)

फ़ैशन की शुरुआत डिज़ाइन से होती है। डिज़ाइनर नए ट्रेंड्स और स्टाइल्स को ध्यान में रखते हुए कपड़े और अन्य उत्पाद तैयार करते हैं।

डिज़ाइनिंग में स्केचिंग, फैब्रिक चयन, पैटर्न बनाना और सैंपल तैयार करना शामिल है।



2. उत्पादन (Production)

डिज़ाइन को वास्तविक उत्पाद में बदलने की प्रक्रिया उत्पादन कहलाती है।

इसमें कपड़ों की कटाई, सिलाई, रंगाई और फिनिशिंग शामिल है।



3. मार्केटिंग और प्रमोशन (Marketing & Promotion)

प्रोडक्ट्स को बाजार में प्रस्तुत करने और ब्रांड को लोकप्रिय बनाने के लिए मार्केटिंग की जाती है।

सोशल मीडिया, फैशन शोज़, विज्ञापन और प्रमोशन इवेंट्स का उपयोग किया जाता है।



4. रिटेल और वितरण (Retail & Distribution)

उत्पादों को ग्राहकों तक पहुंचाना रिटेलिंग के माध्यम से होता है।

इसमें ऑनलाइन स्टोर्स, फैशन बुटीक, शोरूम और ब्रांड आउटलेट्स शामिल होते हैं।





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2. फैशन इंडस्ट्री के प्रकार (Types of Fashion Industry)

1. हाई फैशन (Haute Couture)

एक्सक्लूसिव और कस्टमाइज़्ड डिज़ाइनों पर केंद्रित, जो विशेष ग्राहकों के लिए बनाए जाते हैं।



2. रेडी-टू-वियर (Ready-to-Wear / Pret-a-Porter)

बड़े स्तर पर तैयार किए जाने वाले कपड़े, जिन्हें तुरंत खरीदा और पहना जा सकता है।



3. फास्ट फैशन (Fast Fashion)

कम लागत में तेजी से बदलते ट्रेंड्स के अनुसार उत्पाद बनाए जाते हैं।



4. सस्टेनेबल फैशन (Sustainable Fashion)

पर्यावरण के प्रति जागरूकता को ध्यान में रखते हुए टिकाऊ और इको-फ्रेंडली उत्पाद तैयार किए जाते हैं।





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3. फैशन इंडस्ट्री में करियर (Careers in Fashion Industry)

फ़ैशन डिज़ाइनर

टेक्सटाइल डिज़ाइनर

फ़ैशन स्टाइलिस्ट

मार्केटिंग मैनेजर

फैशन फोटोग्राफर

मर्चेंडाइज़र

फैशन ब्लॉगर/इन्फ्लुएंसर



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4. भारत में फैशन इंडस्ट्री (Fashion Industry in India)

भारत में फैशन इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। भारतीय पारंपरिक पोशाक जैसे साड़ी, लहंगा, कुर्ता आदि के साथ-साथ वेस्टर्न फैशन का भी चलन है।

प्रसिद्ध भारतीय फैशन डिज़ाइनर्स: मनीष मल्होत्रा, सब्यसाची मुखर्जी, तरुण तहिलियानी आदि।

प्रमुख फैशन संस्थान: नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (NIFT), पर्ल अकादमी।

प्रमुख फैशन इवेंट्स: लैक्मे फैशन वीक, इंडिया फैशन वीक।



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5. फैशन इंडस्ट्री के सामने चुनौतियां (Challenges in Fashion Industry)

पर्यावरणीय प्रभाव

तेजी से बदलते ट्रेंड्स

सस्टेनेबिलिटी की कमी

उच्च प्रतिस्पर्धा



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6. फैशन इंडस्ट्री का भविष्य (Future of Fashion Industry)

डिजिटल फैशन और वर्चुअल रनवे

सस्टेनेबल और इको-फ्रेंडली फैशन का विस्तार

AI और टेक्नोलॉजी का उपयोग

लोकल और हैंडमेड फैशन को बढ़ावा



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फैशन इंडस्ट्री में करियर बनाने के लिए क्रिएटिविटी, ट्रेंड्स की समझ, नेटवर्किंग और अप-टू-डेट रहना बहुत जरूरी है।


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NIFT (National Institute of Fashion Technology)

NIFT (National Institute of Fashion Technology) 




भारत का प्रमुख फैशन डिजाइनिंग संस्थान है, जहाँ फैशन से संबंधित विभिन्न कोर्सेज कराए जाते हैं। यदि आप फैशन डिजाइनिंग में करियर बनाना चाहते हैं, तो NIFT एक बेहतरीन विकल्प है। यहाँ आपको NIFT से जुड़ी पूरी जानकारी हिंदी में दी गई है।



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1. NIFT क्या है?


NIFT भारत सरकार द्वारा स्थापित एक प्रमुख संस्थान है, जो फैशन डिजाइनिंग, टेक्सटाइल डिजाइन, लेदर डिजाइन, फैशन कम्युनिकेशन, फैशन टेक्नोलॉजी आदि कोर्सेज प्रदान करता है।



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2. NIFT में प्रवेश (Admission Process)


NIFT में प्रवेश के लिए एक राष्ट्रीय स्तर की प्रवेश परीक्षा आयोजित की जाती है। प्रवेश परीक्षा मुख्यतः तीन चरणों में होती है:


1. लिखित परीक्षा (Written Test)


CAT (Creative Ability Test): इसमें क्रिएटिविटी, स्केचिंग, और डिजाइनिंग स्किल्स का मूल्यांकन होता है।


GAT (General Ability Test): इसमें जनरल नॉलेज, इंग्लिश, लॉजिकल रीजनिंग, क्वांटिटेटिव एबिलिटी आदि से प्रश्न पूछे जाते हैं।




2. सिचुएशनल टेस्ट (Situation Test)


इस चरण में उम्मीदवारों को दिए गए मटेरियल्स का उपयोग करके 3D मॉडल बनाना होता है। इससे आपकी रचनात्मकता और प्रेजेंटेशन स्किल्स का मूल्यांकन किया जाता है।




3. पर्सनल इंटरव्यू/ ग्रुप डिस्कशन (PI/GD) (केवल PG कोर्सेज के लिए)


इस चरण में आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स, पर्सनैलिटी, और विचारशीलता को परखा जाता है।






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3. NIFT के प्रमुख कोर्सेज


स्नातक (Bachelor's) कोर्स:


B.Des (Bachelor of Design):


फैशन डिजाइन


टेक्सटाइल डिजाइन


लेदर डिजाइन


एक्सेसरी डिजाइन


फैशन कम्युनिकेशन


निटवेयर डिजाइन



B.FTech (Bachelor of Fashion Technology):


फैशन टेक्नोलॉजी




स्नातकोत्तर (Master's) कोर्स:


M.Des (Master of Design)


M.FTech (Master of Fashion Technology)


MFM (Master of Fashion Management)




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4. पात्रता (Eligibility)


B.Des और B.FTech:


12वीं पास होना जरूरी है (किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से)।


B.FTech के लिए PCM (Physics, Chemistry, Math) जरूरी है।



M.Des, M.FTech, और MFM:


संबंधित क्षेत्र में स्नातक डिग्री आवश्यक है।





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5. फीस स्ट्रक्चर (Fee Structure)


NIFT की फीस अलग-अलग कोर्स के लिए भिन्न होती है। औसतन सालाना फीस ₹2.5 लाख से ₹3 लाख तक हो सकती है।




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6. करियर ऑप्शन्स (Career Options after NIFT)


NIFT से डिग्री प्राप्त करने के बाद, आप निम्नलिखित क्षेत्रों में करियर बना सकते हैं:


फैशन डिजाइनर


टेक्सटाइल डिजाइनर


लेदर एक्सेसरी डिजाइनर


फैशन कम्युनिकेशन एक्सपर्ट


फैशन ब्रांड मैनेजर


फैशन कंसल्टेंट


स्टाइलिस्ट


मर्चेंडाइज़र




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7. सैलरी (Salary)


NIFT से ग्रेजुएट होने के बाद शुरुआती सैलरी ₹3 लाख से ₹6 लाख प्रति वर्ष हो सकती है। अनुभव और स्किल्स के आधार पर सैलरी बढ़ती जाती है।



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8. तैयारी कैसे करें? (How to Prepare for NIFT Entrance Exam)


1. डिजाइन स्किल्स पर ध्यान दें – रोजाना स्केचिंग और क्रिएटिव डिजाइनिंग का अभ्यास करें।



2. जनरल नॉलेज और करेंट अफेयर्स पढ़ें।



3. मॉक टेस्ट और प्रैक्टिस पेपर्स से अभ्यास करें।



4. सिचुएशनल टेस्ट के लिए 3D मॉडल बनाने का अभ्यास करें।



5. कोचिंग क्लासेज भी जॉइन कर सकते हैं, लेकिन सेल्फ-स्टडी भी पर्याप्त हो सकती है।





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9. NIFT की टॉप ब्रांचेस


भारत में NIFT की प्रमुख ब्रांचेस हैं:


NIFT दिल्ली


NIFT मुंबई


NIFT बैंगलोर


NIFT हैदराबाद


NIFT चेन्नई


NIFT गांधीनगर




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10. महत्वपूर्ण टिप्स


फैशन से संबंधित ट्रेंड्स की जानकारी रखें।


अपना पोर्टफोलियो तैयार करें।


अपनी प्रेजेंटेशन और कम्युनिकेशन स्किल्स को मजबूत करें।




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यदि आपको NIFT में करियर बनाने से संबंधित और भी कोई जानकारी चाहिए, तो पूछ सकते हैं!

स्टाइल (Style) क्या है?

स्टाइल (Style) क्या है?



स्टाइल एक व्यक्ति की पहचान और व्यक्तित्व को दर्शाने का तरीका होता है। यह किसी के कपड़े पहनने, बोलने, चलने, रहने, व्यवहार करने और जीवनशैली को दर्शाता है। स्टाइल व्यक्ति की सुंदरता, आत्मविश्वास, सोच और व्यक्तित्व को व्यक्त करता है।


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स्टाइल के प्रकार (Types of Style)

1. फैशन स्टाइल (Fashion Style):

यह कपड़ों, जूतों, और एक्सेसरीज से जुड़ा होता है। जैसे - इंडो-वेस्टर्न, ट्रेडिशनल, कैजुअल, फॉर्मल आदि।



2. हेयर स्टाइल (Hair Style):

बालों को काटने, सेट करने या कलर करने का तरीका, जैसे - बॉब कट, लेयर्ड कट, पिक्सी कट आदि।



3. लाइफस्टाइल (Lifestyle Style):

व्यक्ति का जीने का तरीका, जैसे - फिटनेस लाइफस्टाइल, लग्जरी लाइफस्टाइल, सस्टेनेबल लाइफस्टाइल आदि।



4. कम्युनिकेशन स्टाइल (Communication Style):

बात करने, व्यवहार करने और विचार व्यक्त करने का तरीका। जैसे - फ्रेंडली, प्रोफेशनल, औपचारिक या अनौपचारिक शैली।



5. होम डेकोर स्टाइल (Home Decor Style):

घर को सजाने का तरीका, जैसे - मॉडर्न, ट्रेडिशनल, बोहेमियन आदि।





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स्टाइल और फैशन में अंतर (Difference Between Style and Fashion)


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अच्छे स्टाइल के लिए टिप्स (Tips for Better Style)

1. स्वयं को जानें:

अपनी बॉडी टाइप, रंग, और पसंद को समझें।



2. सादगी में सुंदरता:

सिंपल और क्लासिक स्टाइल हमेशा आकर्षक लगते हैं।



3. मौसम के अनुसार कपड़े चुनें:

मौसम और अवसर के अनुसार अपने आउटफिट का चयन करें।



4. सही फिटिंग:

कपड़ों का सही फिट बहुत जरूरी है, जो आपके व्यक्तित्व को निखारता है।



5. कलर कॉम्बिनेशन का ध्यान रखें:

ऐसा कलर कॉम्बिनेशन चुनें जो आपकी पर्सनालिटी पर अच्छा लगे।



6. मिनिमल एक्सेसरीज:

बहुत ज्यादा एक्सेसरीज न पहनें, सादगी में ही सुंदरता है।



7. आत्मविश्वास:

जो भी पहनें, उसे पूरे आत्मविश्वास के साथ कैरी करें।





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व्यक्तिगत स्टाइल कैसे विकसित करें? (How to Develop Personal Style?)

1. प्रेरणा लें:

फैशन मैगज़ीन, सोशल मीडिया या सेलेब्रिटीज़ से इंस्पिरेशन लें।



2. ट्रायल और एरर:

अलग-अलग स्टाइल्स को ट्राई करें और देखें कि क्या आपको सूट करता है।



3. सादा लेकिन स्टाइलिश:

सिंपल आउटफिट्स को एक्सेसरीज से स्टाइलिश बनाएं।



4. विश्वास बनाए रखें:

आत्मविश्वास से भरा व्यक्ति किसी भी स्टाइल को आकर्षक बना सकता है।





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निष्कर्ष:

स्टाइल एक व्यक्तिगत कला है, जो आपके सोचने, पहनने और व्यवहार करने के तरीके को दर्शाती है। यह फैशन से अलग है क्योंकि स्टाइल व्यक्ति का अपना होता है, जबकि फैशन समाज में प्रचलित चलन होता है। सही स्टाइल अपनाकर आप अपने व्यक्तित्व को और भी बेहतर बना सकते हैं।

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फैशन (Fashion) और ट्रेंड (Trend) का पूरा विवरण हिंदी में:

फैशन (Fashion) और ट्रेंड (Trend) का पूरा विवरण हिंदी में:





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फैशन (Fashion) क्या है?

फैशन एक ऐसा चलन है जो समाज में कपड़े, जूते, आभूषण, हेयरस्टाइल, मेकअप और जीवनशैली से जुड़ा होता है। यह किसी विशेष समय, स्थान और संस्कृति के अनुसार बदलता रहता है। फैशन सिर्फ पहनावे तक सीमित नहीं है, बल्कि यह किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व और सोच का भी प्रतिबिंब होता है।

फैशन के प्रकार:

1. वस्त्र फैशन (Clothing Fashion): कपड़ों की डिज़ाइन, रंग और स्टाइल से संबंधित।


2. सजावट फैशन (Accessories Fashion): ज्वेलरी, घड़ी, बैग, बेल्ट आदि से जुड़ा।


3. हेयर फैशन (Hair Fashion): बालों की कटिंग, कलरिंग और स्टाइलिंग।


4. मेकअप फैशन (Makeup Fashion): चेहरे की सजावट के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले कॉस्मेटिक्स।


5. फुटवियर फैशन (Footwear Fashion): जूते, सैंडल्स, हील्स आदि के स्टाइल।




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ट्रेंड (Trend) क्या है?

ट्रेंड का मतलब है किसी विशेष समय में लोकप्रिय या आम चलन। फैशन ट्रेंड वह होता है जो कुछ समय के लिए लोगों के बीच प्रसिद्ध हो जाता है। यह बदलते समय, समाज, संस्कृति और मीडिया के प्रभाव से बदलता रहता है।

ट्रेंड के प्रकार:

1. माइक्रो ट्रेंड (Micro Trend): जो थोड़े समय के लिए लोकप्रिय रहता है।


2. मैक्रो ट्रेंड (Macro Trend): जो लंबे समय तक लोगों में बना रहता है।


3. सीजनल ट्रेंड (Seasonal Trend): मौसम के अनुसार बदलने वाला ट्रेंड जैसे गर्मी, सर्दी, बरसात के कपड़े।


4. रिटर्निंग ट्रेंड (Returning Trend): पुराना ट्रेंड जो समय के साथ वापस लौटता है, जैसे विंटेज फैशन।




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फैशन और ट्रेंड में अंतर

स्थायित्व: फैशन एक व्यापक अवधारणा है, जबकि ट्रेंड अस्थायी होते हैं।

समय: फैशन स्थायी हो सकता है, लेकिन ट्रेंड कुछ महीनों या वर्षों तक ही लोकप्रिय रहता है।

प्रभाव: ट्रेंड, फैशन को प्रभावित करता है, लेकिन हर ट्रेंड फैशन नहीं होता।



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फैशन और ट्रेंड को कैसे अपनाएं?

1. अपनी पसंद को प्राथमिकता दें।


2. मौसम और अवसर के अनुसार पहनावा चुनें।


3. सोशल मीडिया और फैशन मैगजीन से अपडेट रहें।


4. कंफर्ट और स्टाइल का संतुलन बनाए रखें।


5. पुराने ट्रेंड को भी नए अंदाज में अपनाएं।




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निष्कर्ष:
फैशन और ट्रेंड दोनों ही व्यक्तित्व को व्यक्त करने के तरीके हैं। ट्रेंड तेजी से बदलते हैं, लेकिन फैशन में स्थायित्व होता है। सही फैशन और ट्रेंड को अपनाकर आप अपनी स्टाइल को बेहतर बना सकते हैं।

फैशन डिज़ाइनिंग से संबंधित ITI कोर्स के बारे में विस्तार से जानकारी इस प्रकार है:

फैशन डिज़ाइनिंग से संबंधित ITI कोर्स के बारे में विस्तार से जानकारी इस प्रकार है:




1. फैशन डिज़ाइनिंग (Fashion Designing) ITI कोर्स

यह कोर्स फैशन डिज़ाइनिंग के क्षेत्र में विशेषज्ञता प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इसमें छात्रों को कपड़े डिज़ाइन करने, रंग संयोजन, पैटर्न बनाने, ड्राफ्टिंग और स्टाइलिंग की तकनीकें सिखाई जाती हैं।

2. कोर्स का अवधि

समय अवधि: यह कोर्स आमतौर पर 1 से 2 साल का होता है, जो विद्यार्थियों की शिक्षा और प्रशिक्षण के स्तर पर निर्भर करता है।


3. कोर्स की विशेषताएँ

कपड़े डिज़ाइन करना: फैशन डिज़ाइनिंग के विभिन्न पहलुओं को समझाना, जैसे कि कपड़े की चयन, रंग संयोजन, स्टाइल और कटिंग।

सिलाई और कटाई: सिलाई मशीन का उपयोग, कपड़े को सही आकार में काटना और सिलाई करना।

कस्टम फिटिंग: व्यक्तिगत फिटिंग के लिए डिज़ाइन तैयार करना।

इंटीरियर्स और एसेसरीज डिज़ाइनिंग: फैशन डिज़ाइनिंग में सिर्फ कपड़े ही नहीं, बल्कि एसेसरीज जैसे बैग्स, बेल्ट्स और शूज का भी डिज़ाइन किया जाता है।


4. योग्यता
शैक्षिक योग्यता: 10वीं कक्षा पास (कुछ संस्थान 12वीं कक्षा तक की शिक्षा मांग सकते हैं)।
आयु सीमा: 14 से 40 वर्ष के बीच।

5. कोर्स के लाभ

फैशन उद्योग में कैरियर की संभावनाएं।
सिलाई, पैटर्न मेकिंग और डिजाइनिंग जैसी महत्वपूर्ण कला में दक्षता।
बुटीक खोलने या फैशन डिजाइनर के रूप में काम करने के अवसर।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी फैशन उद्योग में काम करने की संभावना।

6. प्रमुख विषय

सिलाई और ड्राफ्टिंग
कपड़े की पहचान और गुण
पैटर्न डिजाइनिंग
इंटरनेट और फैशन मार्केटिंग
कस्टम डिजाइनिंग और फिटिंग

7. पेशेवर अवसर

फैशन डिज़ाइनर
बुटीक संचालक
स्टाइलिस्ट
प्रोडक्ट डिजाइनर
वस्त्र उद्योग में कारीगर या सुपरवाइजर
वस्त्र निर्माण कंपनियों में नौकरी

8. प्रवेश प्रक्रिया

ITI में प्रवेश प्रक्रिया अलग-अलग संस्थानों में भिन्न हो सकती है, लेकिन आमतौर पर यह प्रवेश परीक्षा या मेरिट के आधार पर होता है। कुछ संस्थान सीधे एडमिशन भी देते हैं।

9. प्रमुख संस्थान

राजकीय आईटीआई संस्थान

एलन आईटीआई
न्यूस्कूल फैशन इंस्टीट्यूट
निफ्ट (NIFT) और निफ्ट जैसी संस्थाओं के साथ साझेदारी वाले कोर्स

यह कोर्स उन लोगों के लिए उपयुक्त है, जिन्हें फैशन के क्षेत्र में रुचि है और जो इस क्षेत्र में अपना करियर बनाना चाहते हैं।

फैशन डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी में क्राफ्ट्स इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग स्कीम (CITS) कोर्स उन व्यक्तियों के लिए है जो इस क्षेत्र में प्रशिक्षक बनना चाहते हैं। इस कोर्स के बारे में निम्नलिखित जानकारी महत्वपूर्ण है:

पात्रता मानदंड:

फैशन टेक्नोलॉजी या फैशन डिज़ाइनिंग में डिग्री या न्यूनतम 2 वर्ष का डिप्लोमा।

या, फैशन डिज़ाइन और टेक्नोलॉजी ट्रेड में 1 वर्षीय नेशनल ट्रेड सर्टिफिकेट (NTC) या नेशनल अप्रेंटिसशिप सर्टिफिकेट (NAC)।


कोर्स की अवधि:

यह कोर्स 1 वर्ष (दो सेमेस्टर) का होता है।


एनएसक्यूएफ स्तर:

लेवल 4


प्रवेश प्रक्रिया:

प्रवेश के लिए उम्मीदवारों को अखिल भारतीय सामान्य प्रवेश परीक्षा (AICET) उत्तीर्ण करनी होती है।


कोर्स सामग्री:

ट्रेड थ्योरी, ट्रेड प्रैक्टिकल, और ट्रेनिंग मेथडोलॉजी शामिल हैं।


अध्ययन सामग्री:

अध्ययन सामग्री और प्रश्न बैंक भारतस्किल्स पोर्टल पर उपलब्ध हैं। 


प्रमुख प्रशिक्षण संस्थान:

नेशनल स्किल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट्स (NSTIs) और अन्य मान्यता प्राप्त संस्थान इस कोर्स का संचालन करते हैं।


आवेदन प्रक्रिया:

आवेदन प्रक्रिया, महत्वपूर्ण तिथियां, और अन्य विवरण संबंधित वर्ष के प्रॉस्पेक्टस में उपलब्ध होते हैं। 


सिलेबस:

कोर्स का विस्तृत सिलेबस सेंट्रल स्टाफ ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट (CSTARI) की वेबसाइट पर उपलब्ध है। 


अधिक जानकारी के लिए, आप भारतस्किल्स पोर्टल या प्रशिक्षण महानिदेशालय की आधिकारिक वेबसाइट पर जा सकते हैं।




What is the importance of water in laundry? कपड़े धोने में पानी का क्या महत्व है।

 
  Importance of water In laundry


What is the importance of water in launry? कपड़े धोने में पानी का क्या महत्व है। 
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दुनिया मैं बहुत सी चीज होती है जो हमारे जीवन में बहुत महत्व होता है जैसे: जल हमारे लिए काफी महत्व है, धुलाई (laundry) हमारे लिए महत्व होता है , धुलाई और जल के बिना हमारा जीवन अधूरा होता है, जल और धुलाई हमारे जीवन जीने का आधार है जल से ही धुलाई के जरिए अपने जीवन को साफ, सुथरा व चमकदार बना सकते हैं । जिस प्रकार धुलाई और जल हमारे लिए काफी महत्व रखता है उसी प्रकार फैशन हमारे जीवन को नई रोशनी,जिज्ञासा और रंगों से भर देता है तथा जल से ही फैशन को सुधारा व संवारा जा सकता है ।

आज हम जानेंगे जल के बारे में कि किस तरह जल हमारे लिए बहुत महत्व है तथा जल धुलाई को किस प्रकार प्रभावित कर फैशन को सवारता है। तथा जल का हमारे जीवन में क्या महत्व है। 

कहा गया है जल ही जीवन है प्राणियों का जीवन जल है। प्राचीन समय में नगर शहर या गांव प्रायः नदियों झीलों या तालाबों के किनारे इसलिए वसा करते थे ताकि जनसाधारण के सभी कार्य आसानी से होते रहे जैसे :-- खाना बनाना, कपड़ा धोना ,नहाना आदि और इसके साथ ही लोगों की व्यापार आदि भी जो जल मार्ग से हुआ करते थे उसमें भी सरलता रहती थी। वस्त्र विज्ञान की जानकारी में हमको वस्त्रों की धुलाई की जानकारी के लिए जल की स्वच्छता उसके प्रकार तथा धुलाई कला में वस्तुओं की सफाई के लिए उसके विषय में सभी कुछ जानकारी होनी आवश्यक होती है। 

जल में नमी व आद्रता का जो विशेष गुण है उसके कारण वस्त्रों के तंतु नम हो कर फूल जाते हैं और फूले हुए तंतुओं की गंदगी को साफ करने के लिए उन्हें रगड़ना एवं दवाना भी पड़ता है नर्म तंतु रगड़ के प्रभाव से ना तो शीघ्र ही नष्ट होते हैं और ना ही घिसता है। 

 धुलाई कला एंव जल प्रयोग :-- 

धुलाई कला में जल के साथ-साथ वस्त्रों की गंदगी को हटाने के लिए साबुन या शोधक पदार्थों का भी प्रयोग होता है। शोधक पदार्थ पानी में आसानी से घुल जाते हैं और झाग बनाकर वस्त्रों की गंदगी को पानी में वस्त्रों से अलग कर देते हैं। इस प्रकार गंदगी अलग होने पर वस्त्र को दो-तीन बार पानी में से खंगाल कर साफ कर लिया जाता है। इस खंगाले की प्रक्रिया में यदि पानी शुद्ध ना हुआ तो वस्त्र भी एकदम शुद्ध ना होकर चिपचिपा हो जाएगा। धुलने के बाद वस्त्रों में नील, कलफ का भी प्रयोग होता है और यदि उस कार्य में भी पानी शुद्ध नहीं लेंगे तो वस्त्र पर जो चमक और नयापन आना चाहिए वह नहीं आ पाएगा अतः वस्त्र की प्रत्येक प्रक्रिया में पानी की जरूरत पड़ती है और पानी के अभाव में धुलाई की कोई भी प्रक्रिया नहीं हो सकती है। 

जल पंचतत्व में ही माना जाता है प्राचीन काल से,  किंतु अब वैज्ञानिक ऐसा मानने लगे हैं कि जल हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन के सयोंग से बनता है। अब चाहे सयोंग से बने या पंचतत्व हो उसे शुद्ध तो होना ही चाहिए चाहे यह रासायनिक मिश्रण ही क्यों ना हो जल तो जल ही है और जो भी जल हमें मिलता है वह एकदम शुद्ध रूप में नहीं मिलता है पृथ्वी पर जल के कई भंडार हैं किंतु 3 रूपों में जल हमें पृथ्वी पर मिलता है -- (ठोस)(द्रव)और(गैस)। जल का ठोस रूप वर्ष है द्रव रूप में तो इसका प्रयोग किया जाता है और जल वास्तु उसका गैस ही रूप है। 

अब हम जल चक्र के बारे में जानेंगे,

जलचक्र :--- सूर्य के ताप से समुद्री जल वाष्पित होकर वायुमंडल में जाता है तथा वहां होकर पर्वतों से बादलों के रूप में टकरा कर फिर पृथ्वी पर आ जाता है। और धरती में समा जाता है। पुनः पृथ्वी पर ही पहाड़ों में से कहीं कहीं झरने के रूप में फूलों के रूप में या नदी- नालों के रूप में बहना शुरू हो जाता है। और यह सब जल कहीं कहीं से जाकर नदियों में मिल जाता है। नदिया समुंद्र में मिल जाती है और वहीं पर एक जल चक्र बनकर हमारे पास प्रयोग हेतु आता जाता है। 

इस प्रकार हम पाते हैं कि हमारे पास 4 तरह के जल स्त्रोत होते हैं- 
 
वर्षा का जल :- 

यह जल सबसे शुद्ध होता है किंतु वातावरण शुद्ध ना होने के कारण धरती पर आते-आते इसमें वातावरणीय अशुद्धियां मिल जाती है जिनमें ऑक्सीजन, नाइट्रोजन तथा कार्बन डाइऑक्साइड आदि गैसे तथा धूल के कण मिल जाते हैं तो उसकी शुद्धता कम हो जाती है।

नदी का जल :- 

नदी में वर्षा का जल तथा बर्फ के पिघलने से जल आता है वहां तो फिर भी जल साफ रहता है किंतु फिर मैदान में आते आते बहुत ही घुलनशील अशुद्धियां मिल जाती है जिनसे नदी का जल मटमैला हो जाता है नदियों के जल को ही नगर निगम का जल प्राप्त करके हमारे कार्य हेतु घरों में भेजते हैं। 

झरने व कुंए का जल :- 

जो जल धरती में वर्षा के समय समा जाता है वही जल झरनों के रूप में तथा कुआं खोदकर पानी के रूप में हमारे कार्यों के लिए निकल आता है यद्यपि धरती के अंदर से जल आता है फिर भी शुद्ध होता है किंतु धरती के लवण बगेरा इस जल में घुल जाते हैं तो यह अशुद्ध हो जाता है। 

समुंद्र का जल :-  

यह तो खारा भी होता है और अशुद्ध भी होता है ।जगह-जगह से चल कर यह समुद्र में मिलता है और स्थान- स्थान के लवण,ठोस पदार्थ इस जल में घुल कर इसे अशुद्ध बनाते हैं अतः यह मनुष्य के घर के कार्यों में प्रयुक्त नहीं होता है किंतु अब मनुष्य के प्रयोग के लिए जल को लेकर कुछ वैज्ञानिकों का लक्ष्य जल शुद्ध करके प्रयोग में लाने का प्रयत्न चल रहा है 

अतः मानव समाज के जल प्राप्ति के स्रोत है। 

                   
                       शुद्ध तथा अशुद्ध जल

उपयोगिता के आधार पर जल का वर्गीकरण दो भागों में किया गया है तथा -- मृदु जल तथा कठोर जल 

मृदु जल ( Soft water) :-

जिस जल में आसानी से झाग या फेन बनते हैं, वह मृदु जल कहलाता है पीने के लिए तथा गृह कार्यों में प्रयोग में यह अच्छा रहता है इसमें साबुन से वस्त्र बहुत आसानी से धुल जाते हैं। 

कठोर जल ( Hard water) :- 
जल
 में सब कुछ आसानी से घुल जाता है। जहां-जहां से जल होकर आता है वहां की अशुद्धियां लवण धूल कण आदि पृथ्वी में इसमें मिलते जाते हैं कहीं-कहीं किसी स्थानों के कारण घुलनशील खनिज भी अधिक मात्रा में इसमें घुल जाते हैं तब यह जल खाद्य पदार्थों या वस्त्रों को धोने के मतलब का नहीं रहता है, क्योंकि यह कठोर जल बन जाता है और कठोर जल में साबुन झाग नहीं बनता है । यह वस्त्र पर घिसना ज्यादा पड़ता है। इसके अतिरिक्त यह लवण साबुन पर प्रतिक्रिया करते हैं फलस्वरुप दही के कणों के समान चिपचिपा पदार्थ साबुन से अलग होकर वस्त्र पर चिपक जाता है वस्त्र साफ होने के स्थान पर गंदा हो जाता है अतः कठोर जल साबुन के लिए भी व कपड़ों के लिए भी नुकसानदायक हैं ऐसे जल से सामना करने के लिए कैल्शियम कार्बोनेट की मात्रा के हिसाब से उसमें 10 गुना अधिक साबुन लगाने से इस प्रकार की कठिनाईयों का सामना किया जा सकता है। 

जल की कठोरता दूर करने के उपाय: 

ऊपर लिखी स्थाई कठोरता को दूर करने के लिए जैसे सोडा विधि का प्रयोग किया गया ठीक उसी प्रकार अन्य विधियां भी है -
 
स्त्रवन विधि  :

जल की स्थाई कठोरता को स्त्रवन से भी दूर किया जा सकता है स्त्रवन जल मृदु हो जाता है और जल की घुलनशील अशुद्धियां स्त्रवन पात्र में ही रह जाती है। 

परम्युटिट विधि :

सोडियम व अल्मुनियम धातु के मिश्रित सिलिकेट को पर परम्युटिट कहते हैं। इसको सोडियम जियोलाइट भी कहा जाता है यह जिओलाइट यानी  परम्युटिट जल में घुलनशील होता है। अब इस जल को छानने से जल की कठोरता समाप्त हो जाती है । 

                     

कैलगन विधि:- कैलगन 

वस्तुतः सोडियम हेक्सामेटाफॉस्फेट का औद्योगिक नाम है यही मेटाफास्फेट लवणों से प्रतिक्रिया करके उनके फास्फेट बनाता है और फिर आसानी से छानकर अलग किया जा सकता है कि कैलगन की क्रिया भी जिओलाइट के समान होती है। 

आयन विनिमायक रेजिन के प्रयोग द्वारा :- 

जल को शुद्ध करने का पूर्णतः रसायनिक तरीका कठिन है जो लेबोरेटरी में ही संभव है किंतु जानकारी हेतु यह ज्ञात हो कि आयन विनिमायक रेजिन द्वारा कार्य किया जाता है धनायन विनिमायक रेजिन का प्रयोग करके सभी धन आयनों को H+ आयन में बदलकर ऋणायन विनीमायक रेजिन से OH मैं बदलना जाता है यदि कठोर जल पहले धनायन विनिमायक रेजिन से प्रभावित किया जाए और फिर ऋणायन विनिमायक रोजिन से प्रभावित किया जाए तो जल धन आयनों तथा ऋण आयनों से मुक्त हो जाएगा और जल कोमल व शुद्ध हो जाएगा। 

किंतु गृहणी घर में यह प्रक्रियाएं नहीं कर सकती हैं अतः पानी उबालने जैसी सरल या स्त्रवन विधि जैसी विधि अथवा सोडा डालकर शुद्ध करने जैसी विधियों को अपनाना अच्छा रहेगा। इसके अतिरिक्त इन विधियों का भी प्रयोग घर में संभव होता है किंतु अनुपातिक मिश्रण का ज्ञान होना बहुत जरूरी होता है।

बोरेक्स:-

बोरेक्स द्वारा जल की 2 डिग्री कठोरता दूर की जा सकती है और इससे वस्त्रों को भी नुकसान नहीं होता है

कास्टिक सोडा:- 

अस्थाई कठोरता को तो पूर्णत: शुद्ध कर देता है किंतु स्थाई में यदि कम कठोरता हो तभी दूर होता है

अमोनिया का घोल:

यह महंगा पड़ता है तथा इससे शुद्ध किए हुए जल का परिणाम निश्चित नहीं होता है इससे वैसे भी छतिग्रस्त हो जाते हैं तथा रंग भी हल्की हो जाते हैं।

चार घड़ो की विधि द्वारा जल शुद्ध करना:-  

इस विधि में स्टैंड पर चार घड़े फिट कर देते हैं । सबसे ऊपर वाले घड़े में अशुद्ध जल दूसरे में कोयला तथा  मोटी बालू तथा तीसरे खड़े में महीन बालू तथा कंकड़ भरे रहते हैं ऊपर के तीनों घड़े के तले में छेद होता है जिससे पानी एक के बाद दूसरे व तीसरे घड़े में आता रहता है इस प्रकार शुद्ध जल चौथे घड़े में आ जाता है वह पूर्णरूपेण छना हुआ तथा एकदम शुद्ध होता है।

लाल दवाई तथा तूतिया:-

यह दोनों रसायन कीटनाशक दवाएं हैं। इन दवाओं की थोड़ी सी मात्रा पानी में डाल देने से सारे कीटाणु मर जाते हैं और पानी शुद्ध हो जाता है लाल दवा यानी पोटेशियम परमैग्नेट से तो पीने के लिए पानी शुद्ध हो जाता है तथा तूतिया द्वारा ( अल्प मात्रा में लेकर ) बड़े पैमाने पर पानी शुद्ध किया जाता है। अतः कठोर जल मृदु जल के हानि व लाभ स्पष्ट होते हैं कठोर जल में साबुन का अधिक घिसना, झागों का ना बनना तथा कपड़ों में साबुन का कुछ चिपचिपा पदार्थ भी कपड़ों में लग जाता है इसके कारण कपड़े साफ होने के स्थान पर गंदे हो जाते है। 

इस प्रकार हमने जल के बारे में जाना। जल और धुलाई का हमारे जीवन में तथा फैशन से बहुत गहरा संबंध है तथा जल के बिना और धुलाई के बिना हम और हमारा फैशन अधूरा होता है। तथा जल और धुलाई ही एकमात्र ऐसा है जो हमें सवारता और निखारता है। तथा जल और धुलाई फैशन से इस तरह से संबंध रखता है। जैसे कि हम कोई भी कॉस्टयूम पहनते हो या फुटवियर पहनते हो या फैशन संबंधित कपड़े से लेकर फैशन से जुड़ी कुछ चीजों में जल और धुलाई काफी महत्व रखता है। 
कॉस्टयूम में बहुत से वस्त्र ऐसे होते हैं जिन्हें धुलाई धुलाई की आवश्यकता कई तरीको से होती है
जैसे: सुखी धुलाई, स्प्रे धुलाई, गीली धुलाई आदि बहुत सी ऐसी धुलाई होती है जिसमें हमें जल की आवश्यकता होती है। 
 
दोस्तों आज हमने जाना कपड़े धोने में पानी का क्या महत्व होता है जानी हमारे जीवन में जल और धुलाई का क्या महत्व है। तथा जल और धुलाई हमारे जीवन, और उनसे जुड़ी फैशन को किस प्रकार प्रभावित करता है और उन्हें सवांरता हं।

वस्त्रों के शोधक पदार्थ (cleaning Materials for Fabrics) 

के बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर click करें👇


 और जानें वस्त्रों के कौन-कौन से शोधक पदार्थ होते हैं। 


फैशन डिज़ाइनर वस्त्र बनाने के लिए उपयोग में आने वाली सामग्री के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें|👇

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2022/02/fashion-designer-materials-with-their.html

                       

                       धन्यवाद 🙏
  
 






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"फैशन डिजाइनिंग में ड्राइंग और स्केचिंग: एक पूरी गाइड"

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