🍈cotton silk and woollen🍈
सूती रेशम और ऊनी कपड़ों में से कौन सा कपड़ा कम समय में सूख जाता है और क्यों? Among the cotton silk and woollen which type of fabric dry in a short time and why?
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🌲हेलो दोस्तों आज मैं आपको बताऊंगी कि सूती,रेशम और ऊनी वस्त्रों में से सबसे पहले से कौन से कपड़े जल्दी सुखते हैं।
जैसा कि कपड़े हम सब पहनते हैं पर कपड़े के बारे में उतना नहीं जानते कि कपड़े कि क्या क्वालिटी है, तथा लोगों के मन में बहुत से सवाल उठते होंगे कि यह क्या है, कैसा है, क्यों है, कैसे होता है, तथा ऐसे प्रश्न मन में सवाल उठते है,और बहुत कम लोग ही सभी चीजों के बारे में जान पाते हैं पर अभी के समय आधे से अधिक लोग शिक्षित हैं तथा उन्हें सभी चीजों का ज्ञान हो रहा है।
अभी के समय में एकमात्र fabric ही ऐसी चीज है जो ज्यादा विक्री पर है। तथा fiber, fabric बनावट, रंग-रूप कपड़ा धोना, सुखाना, प्रेस करना आदि जैसी क्रिया को करना उनके बारे में जानना सभी चाहते हैं। और ज्यादा से ज्यादा सभी चीजों के बारे में जाने के लिए होड़ में लगे रहते हैं। 🌲
🌲हम जानेंगे कि रेशम,सूती,ऊनी कपड़ों में सबसे पहले कौन सा कपड़ा जल्दी सूखता है। इस बारे में पता करने के लिए हमें रेशम छोटी बाहुली कपड़ों के बारे में जानना होगा उसी आधार पर हमें पता चलेगा कि कौन से कपड़े कितने समय तक सूखता है।
आइए जानते हैं रेशम, सूती व ऊन के बारे में जानने के बाद ही हमें पता चलेगा कि कौन सा कपड़ा जल्दी सूखता है। 🌲
Cotton ( कपास) :--
🌲कपास से निर्मित वस्त्र हर घर की शोभा है। शुद्ध कपास के तंतुओं से निर्मित वस्त्र सभी पसंद करते हैं क्योंकि यह बहुत आरामदायक होते हैं। भारत में बनी प्रसिद्ध वस्त्र ढाका की मलमल, शबनम, मखमल तथा अब्रबान आदि कपड़े आज भी विश्व प्रसिद्ध है यह वस्त्र इतने सूक्ष्म व महीन होते हैं । 🌲
भारतवर्ष में उगने वाले कपास की बहुत सारी किस्मे है--
कोमाठा कपास
हिंगनघाट कपास
अमरावती कपास
ब्रोच व सूरत कपास
धारवाड़ कपास
फ्रीनी घाटी कपास
बंगाल कपास
धैलराज कपास
सिंध पंजाब कपास
🌲इन सब कपासो के गुण व लंबाई में अंतर है। भारत में मध्य प्रदेश, हैदराबाद, मुंबई, चेन्नई तथा पंजाब में कपास की खेती होती है।
अर्थात, रेशे छोटे-छोटे होने के कारण ही इनसे मजबूत वस्त्र बनता है।
कपास की dimensional stability के कारण ही इसमें सिकुड़ने व फैलने की शक्ति नहीं आती है। इसकी बुनाई करते समय जब धागे पर तनाव आता है तो उसी में कुछ लंबाई चौड़ाई में खिंचाव आ जाता है। इसकी वजह से पहली बार धोने में कपड़े की लंबाई व चौड़ाई में अंतर आ जाता है किंतु बाद में कोई परिवर्तन नहीं होता। 🌲
🌲सूती वस्त्र यह गुण कपास के रेशों में सबसे अधिक मात्रा में पाया जाता है। यही कारण है कि गर्मियों में उपभोक्ता इस वस्त्र को लेना चाहते हैं। तौलिए,रसोई के लिए डस्टर पौंछे आदि इस प्रकार के वस्त्र कपास निर्मित रेशे से बनते हैं। इनमें नमी की मात्रा भी देर तक रहती है। क्योंकि भीतरी नमी को रेशों में वाष्पित होना पड़ता है । 🌲
🌲कपास जैसा कि आप जानते हैं कि या वस्त्र छोटे-छोटे रेशों से बनता है अतः इसकी सतह खुरदरी होने के कारण जल्दी गंदे हो जाते हैं किंतु इन वस्त्रों की सफाई कोई कठिन नहीं है क्योंकि यह आसानी से रगड़ना, कूटना आदि पद्धतियों के द्वारा साफ कर लिया जाता है अधिक गंदे कपड़े उबाले जा सकते हैं सस्ता,महंगा दोनों तरह के साबुन का प्रयोग इन कपड़े पर किया जा सकता है। 🌲
🌲सूती की बुनाई में स्पेस ज्यादा होता है इसलिए जब हम cotton के वस्त्र धुलने पर पानी उस space में ठहर जाता है और जल्दी पानी निकल नहीं पाता जिस वजह से cotton के वस्त्र धुलने पर जल्दी नहीं सूखते ।🌲
Silk ( रेशम ) :-- 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿
🍃रेशम एक अभिजात्य वर्ग के पहनने वाला उत्तम क्वालिटी का वस्त्र है तथा रेशमी वस्त्रों में अपनी ही मजबूती, चिकनापन, कोमलता, आकर्षक, चमक तथा विलक्षण मजबूती सभी रेशों में सबसे अधिक होने के कारण इसे वस्त्रों की रानी भी कहा जाता है। 🍃
🍃भारत के ही समान वर्षों पूर्व चीन, जापान, कस्तूंतुनिया, वेनिस, फ्लोरेंस मिलान आदि स्थानों पर भी सिल्क का प्रचलन था और आज भी अनेकों ऐसे स्थान देश व शहरों में सिल्क का उद्योग खूब चल रहा है दिन प्रतिदिन सिल्क को पसंद करने वालों की संख्या भी बढ़ती जा रही है। 🍃
🍃आधुनिक युग में सिल्क के उत्पादन का काम सर्वप्रथम वैज्ञानिक विधि से करने का श्रेय जापान को है इसी के साथ ही चीन,कोरिया, इटली, स्पेन, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, टर्की, ग्रीस सीरियल, बुलगारिया तथा ब्राजील में भी बड़े पैमाने पर रेशम के उत्पादन का कार्य होता है। भारत में सिल्क उत्पादन के लिए मैसूर, जम्मू-कश्मीर, बंगाल, बिहार तथा बैंगलोर आदि शहर प्रसिद्ध है। उड़ीसा, मद्रास, कर्नाटक व हैदराबाद में भी सिल्क निर्माण होता है। 🍃
🍃सिल्क नमी सोख ने में सक्षम है, किंतु शीघ्रता से इसकी नमी खत्म नहीं होती है इसी कारण यह पहनने में आरामदायक है। सिल्क चिकनी, चमकदार सतह होने के कारण जल्दी से गंदा नहीं होता है किंतु जब धोएं तो हल्के साबुन के घोल में और रगड़-रगड़ कर ना धोएं। या तो गुनगुना पानी प्रयोग करें अथवा ताजे पानी से धो लें। कस कर ना निचोड़े। 🍃
रेशम हमें कीड़ों से प्राप्त होता है इसकी बुनाई बहुत ही बारीकी से होता है रेशम की बुनाई में स्पेस नहीं होता है जिस वजह से सिल्क से बने वस्त्र धुलने पर पानी सरक जाता है। वस्त्र में ठहरता नहीं है और वस्त्र बहुत जल्दी सूख जाता है।
Wool ( ऊन):-
🍂ऊन एक प्राकृतिक किंतु प्राणी जन्य रेशा है। इससे बने वस्त्रों का प्रयोग सर्दी के मौसम में किया जाता है। क्योंकि यह एक गर्म रेशा है ।
यह तो आप सभी जानते हैं कि विभिन्न पशुओं से प्राप्त जंतुओं से ऊन का निर्माण होता है। ऊन बनने तक इसकी विभिन्न प्रक्रियाएं होती हैं। यदि बारीकी से देखा जाए तो प्रत्येक भेड़ के शरीर से 15 से 20 श्रेणियों का ऊन प्राप्त होता है। 🌷
उनमें पानी सोखने की क्षमता बहुत अधिक रहती है गीला होने पर भी यह गिला नहीं दिखता है वातावरण की नमी को भी सूखने की सामर्थ रखते हैं इसी कारण इनके सूखने में अधिक समय लगता है।
ऊनी वस्त्रों को हल्के साबुन के घोल में धोना चाहिए अधिक रगड़ना नहीं चाहिए यह वस्त्र रगड़ नहीं सहन कर सकते हैं गीले होने पर कमजोर हो जाते हैं प्रयत्न करना चाहिए की शुष्क धुलाई का प्रयोग हो।
🍂ऊन के रेशे मोटे होते हैं क्योंकि ऊन हमें भेड़, जंगली बकरी आदि जानवरों से प्राप्त होते हैं और उनके बाल मोटे होते हैं जिस वजह से हमें रेशें भी मोटे प्राप्त होते हैं ऊन के वस्त्र रेशे से बनी बुनाई में भी स्पेस ज्यादा होने के कारण वस्त्र भूलने पर पानी वस्त्र में ठहर जाता है और सूखने में समय लगता है कॉटन की अपेक्षा ऊन से बने वस्त्र सूखने में ज्यादा समय लगाते हैं। 🌷
इससे हमें ज्ञात हुआ cotton, silk, woolen मैं सबसे जल्दी सूखने वाला वस्त्र Silk होता है।
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धन्यवाद 🙏







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