वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials for fabric?

 

   Cleaning Materials For Fabric

                वस्त्रों के शोधक पदार्थ              

वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials of fabric? 



🌿हमने जाना धुलाई,धुलाई के उपकरण और जल के बारे में आज हम जानेंगे (भाग-4) में वस्त्रों के शोधक पदार्थ ( Cleaning materials for fabric) से संबंधित जानकारी जैसे: वस्त्रों के कौन-कौन से शोधक पदार्थ हैं,और वह हमसे किस प्रकार संबंध रखता है। हमारे रोज के कामों व वस्त्रों से संबंध रखता है शोधक पदार्थ का संबंध साबुन से हैं,और साबुन का संबंध हमारी क्रियाओं से है शोधक पदार्थ यानी (वस्त्रों की साफ-सफाई ) जो हमारे लिए बेहद जरूरी होता है,यह सभी भाग हमारे फैशन टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आता है। हमारे जीवन से और हमारे क्रियाओं से फैशन टेक्नोलजी से गहरा संबंध होता है। फैशन टेक्नोलॉजी व सिलाई कटाई के माध्यम से पढ़ते है,समझते हैं और उसी अनुसार नियम को अपनाकर अपने फैशन और जीवन को सवारंते है। 🌿

नीचे दिए गए भाग-1 /भाग-2/ भाग-3 के बारे में जानने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे -👇

(भाग-1) धुलाई क्या है?

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-laundry.html

(भाग-2) धुलाई के कौन-कौन से उपकरण हैं। 

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-laundry-and-its-equlpments.html

(भाग-3) जल क्या है? जल हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती हैं। 

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-importance-of-water-in-launry.html


                     वस्त्रों के शोधक पदार्थ

वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials of fabric? 


🌿वस्त्रों की सफाई संबंधी पदार्थों की विवेचना में सर्वप्रथम साबुन का ही नाम जल के साथ लिया गया है ।वस्त्रों की धुलाई के लिए प्राचीन प्रचलित नाम साबुन का ही है। शोधक पदार्थ का संबंध साबुन से है। साबुन को बनाने व प्रयोग करने के साथ-साथ अब इतनी विभिन्नताएं हो गई है किं अनेकों प्रकार के साबुन और डिटर्जेंट मार्केट में आ गए हैं। साथ ही साथ शोधक पदार्थ में प्राचीन काल से रीठा, सोडा, शिकाकाई आदि भी मानी जाती है। इन सब वस्तुओं में से जब किसी एक शोधक  पदार्थ या दो मिश्रित पदार्थों (जैसे रीठा + शिकाकाई) का वस्त्रों से जल के साथ संपर्क कराया जाता है, तो इन पदार्थों के द्वारा वस्त्र की गंदगी पानी में घुलने लगती है, और बाद में पानी में वस्त्र को खंगालने से पानी के साथ वह जाती हैं। इस प्रकार वस्त्र के रेशे अंदर तक स्वच्छ हो जाते हैं और साबुन पानी या अन्य कोई शोधक पदार्थ वस्त्र में प्रवेश करके वस्त्र के सभी भागों की सफाई कर देते हैं। 🌿

🌿वास्तव में शोधक पदार्थों का कार्य ही वस्त्र के के अंदर तक की चिकनाई को निकाल कर उसे उसके धूल कणों से भी दूर करता है। ताकि वस्त्र अंदर तक शुद्ध होकर गंदगी से  पुणतः मुक्त हो सके । इस प्रकार वस्त्र के चिकनाई भरे धूल कणों का शुद्धिकरण (emulsification) हो जाता है ।जल द्वारा वे सब कण बह जाते हैं और शुद्ध पदार्थ व जल के सहयोग से वस्त्र निर्मल हो जाता है। 🌿

         साबुन के प्रकार ( Kinds of Soap)  


🌿साबुन भी कठोर व कोमल दो प्रकार से बनते हैं। इनमें वनस्पति जन्य प्राणी जन्य किसी भी वसा का प्रयोग होता है। 
इसलिए साबुन को वसीय अम्ल के लवण ( salt of fatty acids ) कहते हैं। साबुन में प्रायः और नारियल का तेल बिनौले का तेल, महुआ,ताड़ तथा सोयाबीन तथा टेलो ग्रीज ओलीन आदि तेलों का प्रयोग होता है। कभी-कभी साबुन में पैराफिन का तेल भी मिला देते हैं जिससे उसके स्वस्थ करने वाले गुड़ भी बढ़ जाते हैं जिनकी वजह से वस्त्रों की चिकनाई दूर होती है। 🌿


🌿साबुन राल और नेफथेनिक एसिड, जो पेट्रोलियम का एक उत्पादन होता है भी डाला जाता है इसी के कारण साबुन पीला व चमक वाला बनता है और वस्त्रों को पीलापन देने के लिए यह दोनों पदार्थ ही जिम्मेदार होते हैं। क्षार पैदा करने के लिए कास्टिक सोडा का प्रयोग किया जाता है। साबुन को भारी बनाने के लिए सोडियम सिलीकट जैसे पदार्थो
का प्रयोग किया जाता है ।कभी-कभी मूल्य कम करने के लिए मोम व स्टारच को भी मिक्स कर देते हैं। इसके अतिरिक्त उसको पॉपुलर बनाने के लिए सुगंध हुआ मनोहारी रंगों का भी प्रयोग करते हैं ।🌿

संक्षेप में साबुन दो प्रकार के होते हैं:- 

कठोर साबुन (Hard soap)  :- 

🌿जब साबुन के मिक्सचर में कठोर वसा तथा अधिक क्षार मिलते हैं तो साबुन कठोर बनता है। यह साबुन धीरे-धीरे घूमता है और कपड़ों पर रगड़ना बहुत पड़ता है। गंदे वस्त्रों के लिए ऐसा साबुन अच्छा रहता है इसको बनाने में गर्म विधि प्रयुक्त होती है। 🌿

कोमल साबुन (Soft soap) :-

🌿यह साबुन कोमल होने के कारण घुलता शीघ्रता से है झाग भी बहुत बनते हैं हल्की वसा तथा हल्के क्षार पदार्थ से यह कोमल रहता है। कोमल साबुन प्रायः ठंडी विधि द्वारा बनाया जाता है। कोमल व डेलिकेट वस्त्र इसी साबुन से धोने चाहिए अन्यथा उनके रेशे खराब हो जाते हैं इस साबुन में हल्की वसा वाला अरंडी या अलसी का तेल मिलाया जाता है। शीघ्र घुलने के कारण इस साबुन का खर्च अधिक होता है। 🌿


🌿यही कहा जा सकता है कि अच्छा कोमल साबुन ही खरीदें, चाहे वह महंगा ही क्यों ना हो, जिससे कि वस्त्र के रंग रेशें के खराब होने का भय ना रहे। उत्तम प्रकार के साबुन का रंग साफ तथा पीलापन लिए हुए सफेद सा होता है कुछ साबुन ऐसे भी होते हैं जिनकी सतह पर रखे रखे ही सफेद कण दिखने लगते हैं। ऐसे साबुन अच्छी क्वालिटी के नहीं माने जाते हैं इसमें 4 की मात्रा अधिक मानी जाती है ऐसे साबुन प्रयोग करने से हाथ भी खराब हो जाते हैं इसके अतिरिक्त नहाने के अनेकों प्रकार के साधन सेव बनाने के लिए साबुन कीटाणु रहित साबुन अनेकों प्रकार की सुगंध तथा तेल के मिश्रण से बहुत तरह के साबुन बनते हैं कीटाणु रहित चावलों में 4% कार्बोलिक एसिड होता है। 🌿

🌿एक ग्रहणी को अपने घर की वस्तुओं को और अपने हाथों को सुरक्षित रखने के लिए उत्तम साबुन का चुनाव करना चाहिए ताकि साबुन का अधिक मूल्य देने से वस्त्रों व स्वयं के हाथों की रक्षा हो सकेगी। जो उदासीन साबुन (neutral soap) कहलाते हैं, क्षार-रहित रहने के कारण कोमल रेशों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। अच्छे साबुन का रंग साफ स्वच्छ क पीलापन लिए सफेद होना चाहिए। गहरे रंग के साबुनो में अशुद्धियां रहती हैं यदि साबुन नरम अधिक है तो समझ ले कि उसमें पानी की मात्रा तथा आद्रता भी अधिक हैं यह अधिक घिसता है और कठोर साबुन से सिलिकेट अधिक होने से यह घिसता कम है किंतु सफाई करने वाले पदार्थ कम हो जाते हैं अच्छे साबुन की पहचान यह है कि तोड़ने पर दानेदार दिखाई दें यदि धारीदार या पट्टियों वाली रचना का हो तो उसे उत्तम श्रेणी का नहीं समझा चाहिए।🌿

🌿वस्त्र धुलाई के लिए निम्नलिखित सबुनों के स्वरूप बनते हैं-

साबुन का घोल : 

🌿साबुन का घोल भी कपड़े धोने के काम आता है। साबुन के बार को नन्हे टुकड़ों में काटकर फिर पानी में गला कर घोल बना लेते हैं और उसमें कपड़े धोकर धो लेते हैं।🌿

साबुन की चिप्पी या फ्लेक: 

🌿फ्लेक अति उत्तम साबुन से बनते हैं इसलिए यह प्रभावशाली बहुत होते हैं जब साबुन बनाते हैं तो पारदर्शी पतली पतली सीट तैयार करते हैं जिससे बाद में नन्हे फ्लैक को काट लेते हैं। ये फ्लैक ठंडे पानी में भी घुल जाते हैं। अतः जिन वस्त्रों को ठंडे पानी से धोना हो उसको भी इसमें धो सकते हैं। 🌿

साबुन की जेैली: 

🌿साबुन बनाते समय या छोटे छोटे साबुन के टुकड़ों को पानी में डालकर गाढ़ा घोल आंच पर पका कर रख लेते हैं इससे गाढ़ा घोल को थोड़ा पानी में डालकर झाग करके  वस्त्र धोने का काम किया जाता है। 🌿

साबुन की चूड़ : 

🌿साबुन पाउडर को ही साबुन का चूड़ कहा जाता है। कई बार घटिया सामान को भी इसमें डाल कर पाउडर कर देते हैं और ब्लीचिंग पाउडर भी मिला देते हैं। किंतु कई बार यह बड़े खतरनाक होते हैं और वस्त्रों को भी खराब कर देते हैं।🌿

द्रावण साबुन:

🌿यह बहुत ही उत्तम क्वालिटी के तरल साबुन रूप हैं इनसे ऊनी व रेशमी वस्त्रों को धोना चाहिए यह प्रभावशाली होते हैं इनसे डेलिकेट कपड़े भी अच्छी प्रकार से साफ होते हैं। 🌿

टिक्की या बार :

🌿बार साबुन यदि नरम अधिक है तो उसे काट काटकर हवादार स्थान में सुखाना चाहिए ताकि उसका जलीय अंश सुख सके। 

वस्त्रों की धुलाई में प्रयोग आने वाले अन्य शोधक पदार्थ:--
साबुन की खोज व बनाने से भी पूर्व कुछ ऐसे शोधक पदार्थ प्रचलन में थे जिनके द्वारा जनसाधारण अपने वस्त्र साफ करते थे। 🌿

रीठा

🌿रीठा प्रकृति की देन है। यह एक पेड़ का फल होता है सूखा हुआ रीठा तोड़कर अंदर का काला बीज फेंक देते हैं और ऊपर के छिलकों को पानी में भिगोने से उसका असर पानी में आ जाता है। जब छिलके नरम हो जाए तो उनको मसलकर छान लें इसको रीठा का सत भी कहा जाता है । इसमें  क्षार बिल्कुल नहीं होता है। अतः इसमें किसी भी तरह का वस्त्र धोया जा सकता है खासतौर पर उन्हीं रेसमीया नाजुक नेट आदि के वस्त्रों को इस सत्र में धोने से वक्त अच्छे रहते हैं ना ही इससे रंग खराब होते है और ना ही ऊनी वस्त्र चिपकते हैं। 🌿

शिकाकाई : 

🌿इसका घोल भी रीठे के समान ही तैयार होता है।इसकी की सूखी हुई फलियां 4 इंच से 6 इंच तक की होती है। कांटेदार झाड़ी का यह फल होता है तोड़कर फलियों को पानी में भिगोकर वस्त्रों को साफ किया जाता है इससे भी रीठे  के समान वस्त्रों में ताजगी भरी रहती है इसकी सुखी फलियों का पाउडर करके भी रख लेते हैं और जब जरूरत हो तो तुरंत गर्म पानी में भिगोकर या ठंडे पानी में रखकर भी भिगो देते हैं ठंडे पानी में भीगने से जरा देर लगती है और गर्म पानी तुरंत तैयार हो जाता है । 🌿


ब्रॉन साल्शून : 

🌿आटे में से निकली छानन या चोकर को 4 गुना पानी में भिगोकर उबालकर गाढ़ा करके छान लेते हैं यह क्षार रहित होता ही है, इसमें स्टारच, ग्लूटिन तथा लवण भी रहते ही हैं अतः वस्त्रों का मेल आसानी से निकल जाता है रंग भी खराब नहीं होता यदि अधिक मेले वस्त्र वह तो उसने साबुन का छिलन भी मिला सकते हैं। 🌿

अमोनियम क्लोराइड: 

🌿एक गैलन खौलते पानी में एक चम्मच अमोनिया क्लोराइड डालें उसमें फिर एक गैलन ताजा पानी भी डालें और कोई भी वस्त्र आसानी से भिगो दें फिर पानी में से खंगालने। 

ग्लू वाश : सरेस ( जो पहले सफेदी को दीवारों में चिपकाने का काम करता था) रात भर के लिए पानी में भिगो दें अब उस बर्तन को खौलते पानी के बड़े बर्तन में रखें। ताकि सरेस गल जाए फिर उसको छानकर साफ गाढ़ा पानी निकाल ले इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं। 🌿

पैराफिन:

🌿एक औस कास्टिक सोडा, 2 गैलन पानी तथा 2 आउंस साबुन का छीलन डाल कर गर्म करें। सब कुछ घुलने पर ठंडा करके छान लें दो चम्मच पैराफिन इसमें मिला दें। कपड़े भी इसमें डाल कर खौला ले। उलट पलट करें और चलाती रहें। कपड़े धोकर धूप में डालें ताकि इसकी गंध निकल जाए।🌿

रसायनिक डिटर्जेंट:  

🌿साबुन का पाउडर ही होता है इसका ठंडे गर्म दोनों प्रकार के पानी में डालकर कपड़े धो सकते हैं यह भी क्षार रहित होता है। इसको डिटर्जेंट या सिंथेटिक डिटर्जेंट्स कहते हैं। 🌿


🌿आज हमने साबुन डिटर्जेंट तथा अन्य शोधक पदार्थों के विषय में जाना ।एक गृहणी को या मेंटेनेंस डिपार्टमेंट के अध्यक्षों को इसकी पूरी जानकारी करना अति आवश्यक है ताकि धुलाई में किसी भी तरह की कमी न आने पाए और कोई नुकसान न उठाना पड़े। 🌿























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