वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials for fabric?

 

   Cleaning Materials For Fabric

                वस्त्रों के शोधक पदार्थ              

वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials of fabric? 



🌿हमने जाना धुलाई,धुलाई के उपकरण और जल के बारे में आज हम जानेंगे (भाग-4) में वस्त्रों के शोधक पदार्थ ( Cleaning materials for fabric) से संबंधित जानकारी जैसे: वस्त्रों के कौन-कौन से शोधक पदार्थ हैं,और वह हमसे किस प्रकार संबंध रखता है। हमारे रोज के कामों व वस्त्रों से संबंध रखता है शोधक पदार्थ का संबंध साबुन से हैं,और साबुन का संबंध हमारी क्रियाओं से है शोधक पदार्थ यानी (वस्त्रों की साफ-सफाई ) जो हमारे लिए बेहद जरूरी होता है,यह सभी भाग हमारे फैशन टेक्नोलॉजी के अंतर्गत आता है। हमारे जीवन से और हमारे क्रियाओं से फैशन टेक्नोलजी से गहरा संबंध होता है। फैशन टेक्नोलॉजी व सिलाई कटाई के माध्यम से पढ़ते है,समझते हैं और उसी अनुसार नियम को अपनाकर अपने फैशन और जीवन को सवारंते है। 🌿

नीचे दिए गए भाग-1 /भाग-2/ भाग-3 के बारे में जानने के लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करे -👇

(भाग-1) धुलाई क्या है?

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-laundry.html

(भाग-2) धुलाई के कौन-कौन से उपकरण हैं। 

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-laundry-and-its-equlpments.html

(भाग-3) जल क्या है? जल हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करती हैं। 

https://fashiongrandtec.blogspot.com/2021/07/what-is-importance-of-water-in-launry.html


                     वस्त्रों के शोधक पदार्थ

वस्त्रों के शोधक पदार्थ क्या है? What is cleaning materials of fabric? 


🌿वस्त्रों की सफाई संबंधी पदार्थों की विवेचना में सर्वप्रथम साबुन का ही नाम जल के साथ लिया गया है ।वस्त्रों की धुलाई के लिए प्राचीन प्रचलित नाम साबुन का ही है। शोधक पदार्थ का संबंध साबुन से है। साबुन को बनाने व प्रयोग करने के साथ-साथ अब इतनी विभिन्नताएं हो गई है किं अनेकों प्रकार के साबुन और डिटर्जेंट मार्केट में आ गए हैं। साथ ही साथ शोधक पदार्थ में प्राचीन काल से रीठा, सोडा, शिकाकाई आदि भी मानी जाती है। इन सब वस्तुओं में से जब किसी एक शोधक  पदार्थ या दो मिश्रित पदार्थों (जैसे रीठा + शिकाकाई) का वस्त्रों से जल के साथ संपर्क कराया जाता है, तो इन पदार्थों के द्वारा वस्त्र की गंदगी पानी में घुलने लगती है, और बाद में पानी में वस्त्र को खंगालने से पानी के साथ वह जाती हैं। इस प्रकार वस्त्र के रेशे अंदर तक स्वच्छ हो जाते हैं और साबुन पानी या अन्य कोई शोधक पदार्थ वस्त्र में प्रवेश करके वस्त्र के सभी भागों की सफाई कर देते हैं। 🌿

🌿वास्तव में शोधक पदार्थों का कार्य ही वस्त्र के के अंदर तक की चिकनाई को निकाल कर उसे उसके धूल कणों से भी दूर करता है। ताकि वस्त्र अंदर तक शुद्ध होकर गंदगी से  पुणतः मुक्त हो सके । इस प्रकार वस्त्र के चिकनाई भरे धूल कणों का शुद्धिकरण (emulsification) हो जाता है ।जल द्वारा वे सब कण बह जाते हैं और शुद्ध पदार्थ व जल के सहयोग से वस्त्र निर्मल हो जाता है। 🌿

         साबुन के प्रकार ( Kinds of Soap)  


🌿साबुन भी कठोर व कोमल दो प्रकार से बनते हैं। इनमें वनस्पति जन्य प्राणी जन्य किसी भी वसा का प्रयोग होता है। 
इसलिए साबुन को वसीय अम्ल के लवण ( salt of fatty acids ) कहते हैं। साबुन में प्रायः और नारियल का तेल बिनौले का तेल, महुआ,ताड़ तथा सोयाबीन तथा टेलो ग्रीज ओलीन आदि तेलों का प्रयोग होता है। कभी-कभी साबुन में पैराफिन का तेल भी मिला देते हैं जिससे उसके स्वस्थ करने वाले गुड़ भी बढ़ जाते हैं जिनकी वजह से वस्त्रों की चिकनाई दूर होती है। 🌿


🌿साबुन राल और नेफथेनिक एसिड, जो पेट्रोलियम का एक उत्पादन होता है भी डाला जाता है इसी के कारण साबुन पीला व चमक वाला बनता है और वस्त्रों को पीलापन देने के लिए यह दोनों पदार्थ ही जिम्मेदार होते हैं। क्षार पैदा करने के लिए कास्टिक सोडा का प्रयोग किया जाता है। साबुन को भारी बनाने के लिए सोडियम सिलीकट जैसे पदार्थो
का प्रयोग किया जाता है ।कभी-कभी मूल्य कम करने के लिए मोम व स्टारच को भी मिक्स कर देते हैं। इसके अतिरिक्त उसको पॉपुलर बनाने के लिए सुगंध हुआ मनोहारी रंगों का भी प्रयोग करते हैं ।🌿

संक्षेप में साबुन दो प्रकार के होते हैं:- 

कठोर साबुन (Hard soap)  :- 

🌿जब साबुन के मिक्सचर में कठोर वसा तथा अधिक क्षार मिलते हैं तो साबुन कठोर बनता है। यह साबुन धीरे-धीरे घूमता है और कपड़ों पर रगड़ना बहुत पड़ता है। गंदे वस्त्रों के लिए ऐसा साबुन अच्छा रहता है इसको बनाने में गर्म विधि प्रयुक्त होती है। 🌿

कोमल साबुन (Soft soap) :-

🌿यह साबुन कोमल होने के कारण घुलता शीघ्रता से है झाग भी बहुत बनते हैं हल्की वसा तथा हल्के क्षार पदार्थ से यह कोमल रहता है। कोमल साबुन प्रायः ठंडी विधि द्वारा बनाया जाता है। कोमल व डेलिकेट वस्त्र इसी साबुन से धोने चाहिए अन्यथा उनके रेशे खराब हो जाते हैं इस साबुन में हल्की वसा वाला अरंडी या अलसी का तेल मिलाया जाता है। शीघ्र घुलने के कारण इस साबुन का खर्च अधिक होता है। 🌿


🌿यही कहा जा सकता है कि अच्छा कोमल साबुन ही खरीदें, चाहे वह महंगा ही क्यों ना हो, जिससे कि वस्त्र के रंग रेशें के खराब होने का भय ना रहे। उत्तम प्रकार के साबुन का रंग साफ तथा पीलापन लिए हुए सफेद सा होता है कुछ साबुन ऐसे भी होते हैं जिनकी सतह पर रखे रखे ही सफेद कण दिखने लगते हैं। ऐसे साबुन अच्छी क्वालिटी के नहीं माने जाते हैं इसमें 4 की मात्रा अधिक मानी जाती है ऐसे साबुन प्रयोग करने से हाथ भी खराब हो जाते हैं इसके अतिरिक्त नहाने के अनेकों प्रकार के साधन सेव बनाने के लिए साबुन कीटाणु रहित साबुन अनेकों प्रकार की सुगंध तथा तेल के मिश्रण से बहुत तरह के साबुन बनते हैं कीटाणु रहित चावलों में 4% कार्बोलिक एसिड होता है। 🌿

🌿एक ग्रहणी को अपने घर की वस्तुओं को और अपने हाथों को सुरक्षित रखने के लिए उत्तम साबुन का चुनाव करना चाहिए ताकि साबुन का अधिक मूल्य देने से वस्त्रों व स्वयं के हाथों की रक्षा हो सकेगी। जो उदासीन साबुन (neutral soap) कहलाते हैं, क्षार-रहित रहने के कारण कोमल रेशों को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। अच्छे साबुन का रंग साफ स्वच्छ क पीलापन लिए सफेद होना चाहिए। गहरे रंग के साबुनो में अशुद्धियां रहती हैं यदि साबुन नरम अधिक है तो समझ ले कि उसमें पानी की मात्रा तथा आद्रता भी अधिक हैं यह अधिक घिसता है और कठोर साबुन से सिलिकेट अधिक होने से यह घिसता कम है किंतु सफाई करने वाले पदार्थ कम हो जाते हैं अच्छे साबुन की पहचान यह है कि तोड़ने पर दानेदार दिखाई दें यदि धारीदार या पट्टियों वाली रचना का हो तो उसे उत्तम श्रेणी का नहीं समझा चाहिए।🌿

🌿वस्त्र धुलाई के लिए निम्नलिखित सबुनों के स्वरूप बनते हैं-

साबुन का घोल : 

🌿साबुन का घोल भी कपड़े धोने के काम आता है। साबुन के बार को नन्हे टुकड़ों में काटकर फिर पानी में गला कर घोल बना लेते हैं और उसमें कपड़े धोकर धो लेते हैं।🌿

साबुन की चिप्पी या फ्लेक: 

🌿फ्लेक अति उत्तम साबुन से बनते हैं इसलिए यह प्रभावशाली बहुत होते हैं जब साबुन बनाते हैं तो पारदर्शी पतली पतली सीट तैयार करते हैं जिससे बाद में नन्हे फ्लैक को काट लेते हैं। ये फ्लैक ठंडे पानी में भी घुल जाते हैं। अतः जिन वस्त्रों को ठंडे पानी से धोना हो उसको भी इसमें धो सकते हैं। 🌿

साबुन की जेैली: 

🌿साबुन बनाते समय या छोटे छोटे साबुन के टुकड़ों को पानी में डालकर गाढ़ा घोल आंच पर पका कर रख लेते हैं इससे गाढ़ा घोल को थोड़ा पानी में डालकर झाग करके  वस्त्र धोने का काम किया जाता है। 🌿

साबुन की चूड़ : 

🌿साबुन पाउडर को ही साबुन का चूड़ कहा जाता है। कई बार घटिया सामान को भी इसमें डाल कर पाउडर कर देते हैं और ब्लीचिंग पाउडर भी मिला देते हैं। किंतु कई बार यह बड़े खतरनाक होते हैं और वस्त्रों को भी खराब कर देते हैं।🌿

द्रावण साबुन:

🌿यह बहुत ही उत्तम क्वालिटी के तरल साबुन रूप हैं इनसे ऊनी व रेशमी वस्त्रों को धोना चाहिए यह प्रभावशाली होते हैं इनसे डेलिकेट कपड़े भी अच्छी प्रकार से साफ होते हैं। 🌿

टिक्की या बार :

🌿बार साबुन यदि नरम अधिक है तो उसे काट काटकर हवादार स्थान में सुखाना चाहिए ताकि उसका जलीय अंश सुख सके। 

वस्त्रों की धुलाई में प्रयोग आने वाले अन्य शोधक पदार्थ:--
साबुन की खोज व बनाने से भी पूर्व कुछ ऐसे शोधक पदार्थ प्रचलन में थे जिनके द्वारा जनसाधारण अपने वस्त्र साफ करते थे। 🌿

रीठा

🌿रीठा प्रकृति की देन है। यह एक पेड़ का फल होता है सूखा हुआ रीठा तोड़कर अंदर का काला बीज फेंक देते हैं और ऊपर के छिलकों को पानी में भिगोने से उसका असर पानी में आ जाता है। जब छिलके नरम हो जाए तो उनको मसलकर छान लें इसको रीठा का सत भी कहा जाता है । इसमें  क्षार बिल्कुल नहीं होता है। अतः इसमें किसी भी तरह का वस्त्र धोया जा सकता है खासतौर पर उन्हीं रेसमीया नाजुक नेट आदि के वस्त्रों को इस सत्र में धोने से वक्त अच्छे रहते हैं ना ही इससे रंग खराब होते है और ना ही ऊनी वस्त्र चिपकते हैं। 🌿

शिकाकाई : 

🌿इसका घोल भी रीठे के समान ही तैयार होता है।इसकी की सूखी हुई फलियां 4 इंच से 6 इंच तक की होती है। कांटेदार झाड़ी का यह फल होता है तोड़कर फलियों को पानी में भिगोकर वस्त्रों को साफ किया जाता है इससे भी रीठे  के समान वस्त्रों में ताजगी भरी रहती है इसकी सुखी फलियों का पाउडर करके भी रख लेते हैं और जब जरूरत हो तो तुरंत गर्म पानी में भिगोकर या ठंडे पानी में रखकर भी भिगो देते हैं ठंडे पानी में भीगने से जरा देर लगती है और गर्म पानी तुरंत तैयार हो जाता है । 🌿


ब्रॉन साल्शून : 

🌿आटे में से निकली छानन या चोकर को 4 गुना पानी में भिगोकर उबालकर गाढ़ा करके छान लेते हैं यह क्षार रहित होता ही है, इसमें स्टारच, ग्लूटिन तथा लवण भी रहते ही हैं अतः वस्त्रों का मेल आसानी से निकल जाता है रंग भी खराब नहीं होता यदि अधिक मेले वस्त्र वह तो उसने साबुन का छिलन भी मिला सकते हैं। 🌿

अमोनियम क्लोराइड: 

🌿एक गैलन खौलते पानी में एक चम्मच अमोनिया क्लोराइड डालें उसमें फिर एक गैलन ताजा पानी भी डालें और कोई भी वस्त्र आसानी से भिगो दें फिर पानी में से खंगालने। 

ग्लू वाश : सरेस ( जो पहले सफेदी को दीवारों में चिपकाने का काम करता था) रात भर के लिए पानी में भिगो दें अब उस बर्तन को खौलते पानी के बड़े बर्तन में रखें। ताकि सरेस गल जाए फिर उसको छानकर साफ गाढ़ा पानी निकाल ले इससे वस्त्र धोए जा सकते हैं। 🌿

पैराफिन:

🌿एक औस कास्टिक सोडा, 2 गैलन पानी तथा 2 आउंस साबुन का छीलन डाल कर गर्म करें। सब कुछ घुलने पर ठंडा करके छान लें दो चम्मच पैराफिन इसमें मिला दें। कपड़े भी इसमें डाल कर खौला ले। उलट पलट करें और चलाती रहें। कपड़े धोकर धूप में डालें ताकि इसकी गंध निकल जाए।🌿

रसायनिक डिटर्जेंट:  

🌿साबुन का पाउडर ही होता है इसका ठंडे गर्म दोनों प्रकार के पानी में डालकर कपड़े धो सकते हैं यह भी क्षार रहित होता है। इसको डिटर्जेंट या सिंथेटिक डिटर्जेंट्स कहते हैं। 🌿


🌿आज हमने साबुन डिटर्जेंट तथा अन्य शोधक पदार्थों के विषय में जाना ।एक गृहणी को या मेंटेनेंस डिपार्टमेंट के अध्यक्षों को इसकी पूरी जानकारी करना अति आवश्यक है ताकि धुलाई में किसी भी तरह की कमी न आने पाए और कोई नुकसान न उठाना पड़े। 🌿























What is laundry and its Equlpments ? धुलाई के उपकरण क्या हैं?


        laundry and its Equlpments


What is laundry and its Equlpments ? धुलाई के उपकरण क्या हैं?

इससे पहले हमने जाना धुलाई क्या है। तथा का फैशन से क्या समबन्ध  है । आज हम जानेंगे धुलाई उपकरण के बारे में जो इस प्रकार हैं :--

गंदे वस्त्रों की धुलाई करना laundry work कहलाता है।  पहने हुए वस्त्रों को धुलाई करके, उनको नए रूप में लाकर दोबारा से पहने के योग्य बनाना ही लाउंड्री कला का कार्य है।
यह तो सभी जानते हैं कि सभी वस्त्रों को एक तरीके से नहीं धोया जा सकता है। कोई गर्म पानी में तो कोई ठंडे पानी में, कोई साबुन से तो कोई डिटर्जेंट,सोप में, तो कोई हल्के सोप में धोए हो जाते हैं। कोई तार पर या अलमारी पर तो कोई चारपाई या जमीन पर बिछाकर सुखाए जाते हैं। अब हम जानेंगे धुलाई के भिन्न-भिन्न उपकरणों के बारे में....

                 
                        सिंक तथा ड्रेसिंग बोर्ड

   वस्त्रों को भिगोने व धोने सम्बन्धित उपकरण       

टब, बाल्टिया व बेसिन :-

सर्वप्रथम वस्त्रों को धोने के लिए साबुन के घोल में या साधारण गर्म पानी में भिगोना पड़ता है। ताकि वस्त्रों का मैल फूल जाए और कपड़ों में से आसानी से निकल जाए। धुलाई के पात्र प्लास्टिक लिया गेल्वाइज्ड आयरन के अच्छे होते हैं। धुलाई कार्यों में एलुमिनियम अच्छा नहीं रहता है। लोहे आदि के पात्रों में जंग लगने का भय होता है। यदि टब के आकार वाले बर्तन में कपड़ों को साबुन के घोल या बर्तन पानी में डुबोकर रखा जाए तो दो लाभ होते हैं। एक तो फेन (फोम) अच्छा बनता है। और दूसरा कपड़ों को उलट ना पलटना आसानी से हो जाता है इसके अतिरिक्त कपड़ा धोने के लिए जो सक्शन वाशर होती है उसके द्वारा भी टब में कपड़े मसलने में आसानी होती है। वस्त्रों की संख्या के अनुसार साइज की तब भी आसानी से उपलब्ध होते हैं उनमें भिगोना व मसलकर दो ना आसान होता है। 

सिंक:-

यदि खड़े होकर कार्य करने की इच्छुक हो तो सिंक की जाली का ढक्कन लगाकर उसी में साबुन का घोल बनाकर कपड़े भिगोना व धोना दोनों ही काम शीघ्रता से हो जाती है। साबुन के घोल में भीगे हुए कपड़ों को रगड़ कर उस गंदे साबुन को उसकी जाली से निकाल देते हैं और फिर बार-बार साबुन निकालने के लिए उसे शुद्ध पानी से निकालकर निथार लेते हैं। और अच्छे प्रकार निथरे कपड़ों को ड्रेनिंग बोर्ड पर रखकर सिंक का पानी ड्रेन द्वारा निकाल दिया जाता है। उसी सिंक के नीचे के स्थान को छोटी अलमारी के रूप में प्रयोग करने के लिए बंद रैक जैसा प्रबंध किया जा सकता है। जहां पर साबुन, साबुन पाउडर, नील स्टारच तथा दाग धब्बों के लिए प्रति क्रमांक आदि वस्तुएं सुरक्षित रखी जाती है सिंक का सबसे अच्छा साइज 36 इंच 40 इंच चौड़ा तथा 12 इंच गहरा माना जाता है जिसमें कपड़े धोने में कोई कठिनाइयां नहीं होती है। 

मग :-

बड़े साइज की मग पानी निकालने में तथा लाने में मदद करते हैं। अतः प्लास्टिक के तीन या चार माह धुलाई के समय अवश्य होनी चाहिए। 

कटोरे :-

 बनाने या स्टारच पेस्ट बनाकर जानने के लिए पर दाग धब्बे उतारने के लिए प्रतिक्रमण आदि डालने के लिए प्लास्टिक या एनामिल के कटोरे अच्छे रहते हैं। 

साबुनदानी :-

बार-बार कपड़ो में जहां जरूरत पड़े साबुन का प्रयोग करना ही पड़ता है साबुन की बट्टी को रखने का उचित माध्यम प्लास्टिक की साबुनदानी ही होती है उसके तले में जाली कटी होने से पानी निकलता रहता है और साबुन शीघ्र ड्राई हो जाता है। 

स्क्रबिंग बोर्ड :-

यह बोर्ड सिंक के साथ ही लगा होने से कपड़े रंगने में सुविधा रहती है वैसे तो यह बोर्डस लकड़ी, जिंक,स्टील, शीशे के बने होते हैं किंतु सुविधा की दृष्टि से लकड़ी का ही अच्छा होता है। 

ब्रूश:-

हाथ से रगड़ने के स्थान पर ब्रूश से रगड़ना भी सुविधाजनक है। ये ब्रुश प्लास्टिक, लकड़ी, स्पंज या फोम तथा नॉयलान के बने होते हैं। विशेषतौर पर कॉलर, कॉलर पट्टी बैंड, कफ बगलो का भाग लगाना पड़ता है।  पेंट की बॉटम या बच्चों के कपड़े भी रगड़ने की जरूरत पड़ती है। कपड़ों की सख्ती या मुलायमियत के हिसाब से ब्रूश का  प्रयोग जरूरी होता है नहीं तो वस्त्र के रेशे खराब होने का भय रहेगा। 

देगची व डंडा :

गंदी सूती वस्त्रो कई बार आग पर भी चढ़ाना पड़ता है। अतः एक पीतल या एलमुनियम की देगची होनी चाहिए जिसे आग के ऊपर रखकर चिमटे से उसमें उलट-पुलट किया जा सके यह कार्य डंडे से या चिमटे,संडासी से भी किया जाता है। 

सक्शन वाशर :-

हाथ से रगड़ने के स्थान पर वांछित टब में भीगे कपड़ों पर सक्शन वाशर का प्रयोग किया जाता है।  इसमें श्रम की भी बचत होती है। इस सक्शन वाशर को हैंडल से पकड़कर कपड़ों के ऊपर रख देते हैं। इसमें नीचे की और एक कटोरा सा बना होता है जिसमें छिद्र होते हैं।  उस काटोरे से वस्त्र को दबाते जाते हैं और उलट-पुलट रहते हैं। उस कटोरेनुमा सक्शन वाशर के दबाने से कपड़े दबकर पानी कटोरी में आ जाता है और जैसे ही डंडे से ऊपर उठाते हैं वह फिर निकल जाता है इस प्रकार रगड़ने का काम दबाने से हो जाता है। 


                       

कपड़े धोने वाली मशीन : 

बिजली से चलने वाली मशीनें घर घर में आ पहुंची हैं। कपड़ा धोने की मशीन और शरीर में हाथ से चलाई जाती थी किंतु अब तो बिजली से ही चलाई जाती है । इन मशीनों में Fully automatic तथा semi- automatic दोनों तरफ की मशीनें हैं। Fully automatic मैं एक top loading यानी कि ऊपर से ढक्कन हटाकर उसी में से कपड़े डालने की व्यवस्था होती है। दूसरी तरह की front door से कपड़े डालने वाली मशीन होती है। दोनों में एक अंतर होता है कि top loading मैं कम कपड़े भी डाल कर धोए जा सकते हैं किंतु front loading मैं जितना कपड़ों की जरूरत होती है पूरे ही डालने होते हैं। 

                           

Semi- automatic मैं दो टब होते हैं, एक में कपड़े को साबुन के घोल में डालकर मशीन चलाते हैं। इसमे कपड़े clockwise तथा anti- clockwise घूम घूम कर साफ होते हैं। इससे निकालकर साथ वाले गोल-गोल छिद्रों वाले छोटे तब में और खोल-खोल कर भर देते हैं और पानी भी खोल देते हैं। ताकि कपड़े अच्छी तरह से धुल भी जाएं और निचुड़ भी जाएं। मशीन में धुलने  से कपड़े की चमक  तथा नवीनता ऐसी बन रहती है। और समय की भी बचत होती है। 
            
                         

धुलाई मशीनों में सभी में रिंगर लगा होता है जिससे कपड़े अपने आप निचुड़ जाते हैं, उनको केवल मशीन से निकालकर सुखाने का काम रह जाता है। मशीन कोई भी हो प्रयोग के उपरांत अच्छी तरह से धोकर साफ करके पोंछ कर रखनी चाहिए ताकि मशीन के life अच्छी रहे। 

 वस्त्रों को सुखाने वह फाइनल फिनिश संबंधी उपकरण:

अभी तक धुलाई की सभी उपकरणों के विषय के बारे में हमने जाना अब कपड़ों के सुखाने संबंधी तथा फाइनल फिनिश संबंधित क्रियाकलापों के  बारे में जानेंगे

ड्राइंग कैबिनेट  ( Drying cabinet) : वस्त्रों को सिखाने के लिए यहां बिजली के गर्म होने वाले ड्राइंग कैबिनेट होते हैं। इसका महत्व बरसात के मौसम में बहुत  होता है। प्राय: पाश्चात्य देशाों में सूर्य के दर्शन कब होते हैं और वहां सर्दीयां में भी अधिक होती है। इसलिए वहां पर drying cabinet का प्रयोग अधिक किया जाता है। 

इसके अतिरिक्त वस्त्रों को सुखाने का जो साधारण तरीका है और जो प्रयोग किया जाता है वह अलगनी होती है। आजकल यह रस्सियो प्लास्टिक की,सूती डोरी की बटी हुई तथा बिना बटी हुई रस्सियो द्वारा बनती हैं। कपड़ों को रस्सी के छोरो में दबाकर या उस पर फैलाकर चिमटी से पकड़कर सूखने डाल देते हैं ताकि साफ कपड़े जमीन पर गिरकर गंदे ना होने पाए।

आयरन करना :-  

  सूखे हुए वस्त्रों को प्रेस करके उनको फाइनल टच (final touch)  दिया जाता हैं। घरों में प्रायः बिजली की प्रेस का प्रयोग किया जाता हैं।

आमतौर पर प्रेस तीन प्रकार की होती है

साधारण प्रेस           ऑटोमेटिक प्रेस           स्टीम प्रेस
      
                   

                        

अब बात करेंगे साधारण प्रेस : साधारण प्रेस में रेगुलेटर नहीं होता है अपने अंदाज से ही प्रेस करनी होती है इससे नुकसान यह है कि अंदाज अगर गड़बड़ हुआ तो कपड़ा भी गड़बड़ होने का भय रहता है। 
 
ऑटोमेटिक प्रेस :

की बात की जाए तो ऑटोमेटिक प्रेस सुविधा हेतु और कपड़ों को खराब न करने के लिए यह प्रेस रेगुलेटर वाली बनी होती हैं। इस प्रेस का प्रयोग करते समय जिस रेशे के वस्त्रों को प्रेस करना हो उस पर रेगुलेटर का नॉब(Knob)  घुमा देते हैं। इससे यह लाभ होता है कि कपड़े को जितनी गरमाई की आवश्यकता है उतनी ही प्रेस गर्म होती है और कपड़ा पूर्णत: सुरक्षित रहता है। इसी प्रेस को स्वचालित प्रेस भी कहा जाता है। 

स्टीम प्रेस :

के बारे में जानेंगे स्टीम प्रेस,ऑटोमेटिक प्रेस से भी अच्छी किस्म की होती है क्योंकि इसमें पानी स्प्रे करने का एक बटन हैंडल पर होता है तथा इसके तल में छिद्र होते हैंं जहां से स्टीम (भाप) निकलती है और कपड़ों पर बहुत अच्छी प्रेस होती है। खास तौर पर गर्म कपड़ों के लिए यह प्रेस होती है। 

यह तीनों प्रेस तो आधुनिक जमाने की कही जाती है कुछ प्रेस में कोयले जलाकर उससे गर्म करके भी कपड़े प्रेस किए जाते हैं। धोबी लोग प्रायः इस प्रेस का प्रयोग करते हैं। इससे जहां कपड़ो पर राख आदी गिरने का डर रहता है अथवा कभी कभार कोई चिंगारी साइड से निकलकर कपड़े पर यदि गिर जाती है तो कपड़े का नुकसान हो जाता है। इसी कोयले वाली प्रेस में ही एक बंबू भी लगा होता है बंबू से धुआंं आदि निकलता रहता था और प्रायः इससे कपड़े जलने का डर भी कम होता है था। किंतु इस प्रेस के द्वारा अनुभवी या अभ्यस्त हाथों वाले व्यक्ति ही कार्य करते हैं। क्योंकि एक तो यह भारी होती है और दूसरे गरमाई का अंदाजा भी लगाना पड़ता है। 

हमने आमतौर पर तीन प्रेशो के बारे में जानकारी प्राप्त की अब हम प्रेसिंग टेबल या प्रेसिंग बोर्ड क्या है इसका क्या इस्तेमाल है इसके बारे में जानेंगे: -- 

💐                प्रेसिंग टेबल या प्रेसिंग बोर्ड:  
                
                       

 एक सपाट मेज पर दरी कंबल वह चादर डालकर प्रेसिंग की जा सकती है इसके सीधे हाथ की तरफ प्रेस को रखने की व्यवस्था की जाती है और बाकी हिस्से पर कपड़ो को प्रेस किया जाता है प्रेसिंग बोर्ड बना ही इसी कार्य के लिए है ।यह फोल्डिंग होते हैं। लकड़ी के बने होते हैं इस पर thick कपड़ों की पैडिंग होती है और बाएं हाथ की और स्लिव किसे पकड़ने के लिए नोक होती है। उस पर बाजू को प्रेस किया जाता है। दाहिने हाथ पर एस्बेस्टस शीट का एक टुकड़ा गर्म प्रेस को रखने के लिए लगा होता है। यह स्लीव बोर्ड अलग भी मिलता है। एक आयरनिंग कैबिनेट भी मिलता है जो तखत नुमा दीवार में फिट होता है उसे उतारकर स्टैंड पर रखकर बड़े-बड़े कपड़े या साड़ी प्रेस की जाती है। 
इस प्रकार देश के इतने साधन अपनी सुविधानुसार उनको लेकर प्रयोग किया जा सकता है ।

आज हमने जाना धुलाई के उपकरण क्या क्या है तथा धुलाई क्या है। अब बात आती है :

कपड़ों को उठाने तथा रखने संबंधी कुछ उपकरण:-

धुले कपड़ों को सुखाने के लिए ले जाने वाली टब:
धुलाई कमरे में छोटी अलमारी का होना जरूरी है:
सभी रसायनों पर लेबल लगाना:

         इन सभी के बारे में विस्तार पूर्वक जानेंगे : 

जब हम कोई भी कपड़े बोलते हैं तो उस धुले हुए कपड़े को अच्छी तरह से निचोड़ ना तथा निचोड़े हुए वस्त्रों को सुखाने वाले स्थान तक ले जाने के लिए प्लास्टिक का टॉप या टोकरी या प्लास्टिक की बाल्टी होनी जरूरी होती है। ताकि एक बार में 10 -15 कपड़े तक ले जा कर सुखा लिया जाए। 

धुलाई में प्रयुक्त होने वाले साधनों को store करने के लिए अलमारी होना जरूरी है उसमें सोप,डिटर्जेंट,नील,स्टारच, रखनी पड़ती है। तथा उनको निकालने के लिए चम्मच भी होना चाहिए। नाप करने के लिए नपैना भी होना चाहिए। यह सब उस छोटी सी अलमारी में रखा हुआ सुरक्षित रहता है ।

धुलाई के साथ साथ हमें धुलाई से संबंधित रसायनों का भी ध्यान रखना होता है। जैसे प्रतिक्रमण या अन्य समान है उन सब पर लेबल होनी चाहिए ताकि गलती से कुछ दूसरा पदार्थ प्रयोग ना कर ले। इसमें एसिड, साबुन घोल, कास्टिक, सोडा ,पेट्रोल, तारपीन, जेबेल वाटर, सोडियम हाइड्रोक्साइड, बोरेक्स,आँक्सालिक एसिड आदि तमाम सामान तरीके से रखनी चाहिए। नाम के लेबल सही हो तथा बच्चों की पहुंच से दूर हो क्योंकि इसमें कुछ वस्तुएं विष के समान काम करती है अतः बच्चों के हाथों से दूर रखने चाहिए। धुलाई का सामान इसमें से निकालने के लिए लकड़ी या प्लास्टिक के चम्मच होने जरूरी होते हैं। मांड, नील, रंग आदि रखने के लिए प्लास्टिक के डिब्बे या खुले मुंह की शीशियां उचित रहती है। 

इस प्रकार प्रयोग किए गंदे कपड़ों को साफ करने के तरीकों के विषय में जानकारी प्राप्त होना जरूरी होता हैं। 
भिन्न-भिन्न रेशों के वस्त्रों को भिन्न-भिन्न तरीकों से तथा अलग-अलग सोप या डिटर्जेंट का प्रयोग करके धोखा शुद्ध करने के तरीकों के विषय में जाना हमने। यहां तक कि वस्त्रों को किस तापमान पर कितने मिनट के लिए रखा जाता है यह निम्नांकित इस प्रकार है: 
      
              

इस प्रकार उचित निर्देशित तरीकों द्वारा जब कोई भी कार्य किया जाता है तो भली-भांति ही होता है। 

तो दोस्तों आज हमने जाना धुलाई क्या है और धुलाई के क्या उपयोग है तथा धुलाई के कौन-कौन से उपकरण है। 

(part-2) 
धुलाई क्या है यह जानने के लिए:


ऊपर दिए हुए लिंक पर क्लिक करें 👆








 




  





What is Laundry ? धुलाई कला क्या है?

 
                             Laundry

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What is Laundry ? धुलाई कला क्या है? 

🐬लॉन्ड्री से तात्पर्य कपड़ों और अन्य वस्त्रों की धुलाई से है,और अधिक व्यापक रूप से, उनको सुखाने और स्त्री करना भी ( laundry refers to the washing of clothing and other textile and, more broadly, their drying and ironingas well) 

आज हम जानेंगे धुलाई कला (Laundry) के बारे में तथा laundry का फैशन से क्या संबंध है तथा धुलाई का क्या भूमिका है : 

🐋हम सब जानते हैं की धुलाई हमारे जीवन में कितना महत्व रखता है चाहे वह किसी भी चीज की धुलाई ही क्यों ना हो जैसे कपड़े की धुलाई, घरों के धुलाई आदि तथा हम से जुड़ी बहुत सी चीजें ऐसी होती है जिसको धुलाई की आवश्यकता पड़ती है। धुलाई एक ऐसी प्रक्रिया है इससे हमारे शरीर के साथ-साथ मस्तिष्क की भी रक्षा होती है। और हम यह भी जानेंगे कि धुलाई का फैशन से क्या संबंध है। धुलाई चाहे कैसी भी हो सुखी या गिली धुलाई का हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण  है । फैशन से कहने का तात्पर्य है कि जिस प्रकार हमारे जीवन में फैशन की भूमिका उच्च श्रेणी मैं है उसी प्रकार धुलाई की भूमिका उच्च श्रेणी में हैं। क्योंकि धुलाई प्रक्रिया से ही हम अपनी फैशन को उजागर करते हैं और लोगों के सम्मुख प्रस्तुत करते हैं। फैशन में बहुत कुछ आते हैं फैब्रिक, क्लॉथ,टेक्सटाइल सभी के लिए धुलाई की आवश्यकता पड़ती है। 🐬

आईए जानते हैं धुलाई ( Laundry) के बारे में मुझे उम्मीद है कि आप सभी को हमारे द्वारा दी गई सूचना अच्छी लगी हो 

            धुलाई क्या है, तथा धुलाई के उपकरण
  ( what is Laundry and its Equipments)

🐋धुलाई कला :-- 

सभी वस्त्रों से शरीर की रक्षा होती है धारण करने पर वस्त्र गंदे भी होते हैं । उनको साफ करने की जिम्मेदारी भी गृहणी की ही होती है। अतः किस वस्त्रों को किस प्रकार से धोना चाहिए इस विषय की जानकारी सभी को होनी चाहिए कहने का तात्पर्य यह है कि -

" laundering means removing the dirt from clothes by washing and then finishing ( i.e. , starching , ironing etc.), thereby giving them a neat and clean appearance." 

महंगी वस्त्र हो या सस्ते हो, उनकी कार्यक्षमता, टीकाऊपन, सुंदरता, ताजगी, तथा नवीनता को प्रभावित किए बिना ही वस्त्रों की धुलाई होनी चाहिए धुलाई करने से जिन बातों का नियमों का ध्यान रखना चाहिए वह निम्नलिखित हैं:

 गंदगी को दूर करना ( To clean the dirtyness) :

पहला उद्देश्य यही होना चाहिए कि उचित तरीके से वस्त्र की वयनशैली, रंग या प्रिंट को प्रभावित किए बिना ही उसकी गंदगी दूर होनी चाहिए। ताकि दोबारा पहनने पर  वस्त्र खराब प्रतीत ना हो। वस्त्र को अधिक गंदा भी नहीं करना चाहिए, नहीं तो उसकी गंदगी को हटाने के लिए रगड़ना,पिटना करना होगा जिससे वस्त्र के रेशे खराब होने का भय रहेगा। 

वस्त्रों में प्रयोग किए जाने वाले अपमार्जको की जानकारी ( Knowledge about detergents for washing clothes ) :--

वस्त्रों को भलीभांति साफ करने के उद्देश्य से सफाई में प्रयोग किए जाने अपमार्जकों के विषय में यह पता होना चाहिए किन वस्त्रों पर कौन सा अपमार्जक प्रयोग करने से वह ठीक रहता है। जैसे क्षारयुक्त साबुन सिल्क व ऊन पर ठीक नहीं रहतें अर्थात वस्त्र को बुरी तरह बिगाड़ देते हैं तथा सूती वस्त्रो मैं भी अलग-अलग श्रेणियां होती है। हर एक वस्त्र पर हर एक साबुन प्रयोग नहीं किया जा सकता है। अतः वस्त्र के रेशों में बेकार ना होने पाए। ऐसा ही प्रयत्न करना चाहिए। 

दाग धब्बों को छुड़ाने वाले प्रतिकर्मको की जानकारी ( Removal of stains ) :--

अलग-अलग रेशों से निर्मित वस्त्रों का घरों में, होटलों में प्रयोग होता है और उन पर अलग-अलग धब्बे भी प्रयोग के समय लगते रहते हैं किंतु सब पर एक ही प्रतिकर्मक प्रयोग नहीं किया जा सकता है एक ही प्रतिकर्मक की हर वस्त्र पर अलग-अलग प्रतिक्रिया होती है । अतः उन दाग धब्बों को पहचाने कि वह किस वर्ग के हैं तथा उस हिसाब से ही प्रतिक्रमण का चुनाव करना चाहिए। 

वस्त्रों की छटाई ( Separation of cloths ) :--

छटाई का आधार निम्नांकित होना चाहिए--
  1. वर्ग एवं किस्म के अनुसार
  2. बनावट के अनुसार
  3. हल्के गहरे रंग के अनुसार
  4. पक्के व कच्चे रंग के अनुसार
  5. गंदगी की मात्रा के अनुसार
  6. गंदगी की किस्म के अनुसार
इस प्रकार सूती,रेशमी व ऊनी सभी प्रकार के वस्त्रों को उनकी बनावट ( structure) के आधार पर अलग कर लेना चाहिए। इसमें गहरे और हल्के रंग वाले तथा सफेद वस्त्रों को अलग अलग रख लेना चाहिए। साथ ही यह भी देखें कि जो कच्चे रंग के कपड़े हो उन्हें अलग करके धुले। जो रसोई के डस्टर, झाड़न हैं, उनको पहनने वाले वस्त्रों के साथ ना मिलाएं क्योंकि रसोई के डस्टर आदि में चिकनाईमसालों की गंद बसी हुई होती है जो कि अन्य पहनने के परिधान में समा जाने से अच्छी नहीं लगती है।

धुलाई की विधियां ( Methods of laundry ) :--

कोई वस्त्र किसी विधि से तथा कोई किसी विधि से धोया जाता है। किसी को रगड़ कर किसी को दबाकर किसी को पीट सर धोया जाता है जैसा फैब्रिक है वैसी धुलाई जितना गंदा है उस पर वैसे ही धुलाई प्रक्रिया अपनाई जाती है। वरना वस्त्रों की वयम शैली प्रभावित होती है। 

दाग धब्बों को छुड़ाना ( Stain removal ) :--

सर्वप्रथम वस्त्रों में जो दाग धब्बे लगे हो उनकी वर्ग पहचान करें फिर उस पर प्रतिक्रमक का प्रयोग करें। अन्यथा यदि पहले धोएंगे तो वह दाग धब्बे और भी पक्के हो जाएंगे। सदैव प्रतिक्रमक के तनु (हल्के) घोल में ही वस्त्र को डालें ताकि वस्त्र पर प्रतिक्रमांक कि किसी भी प्रकार की विपरीत प्रतिक्रिया ना होने पाए ।

फटे पुराने की मरम्मत करना ( Repair of cloths) :--

यदि वस्त्र पहनने पर कहीं कील में या किसी वस्तु में फसकर उलझ कर फट गया है तो धोने से पूर्व उसकी मरम्मत करें क्योंकि यदि बिना मरम्मत करें धोएंगे तो वह और भी अधिक फट जाएगा और फटा हुआ तेढ़ा मेढ़ा भी हो जाएगा जिसमें श्रमसमय दोनों ही अधिक लगेंगे।

सजावटी ट्रेनिंग को उतारना ( To separate the trimming material) :--

धोने से पूर्व यह भी जानना आवश्यक है कि जो ट्रीमिंग्स वस्त्र से उतारने लायक हो उन्हें पहले ही उतार कर रख लें। फिर वस्त्र को धोकर उन्हें प्रेस कर ले तथा बाद में उन सब फिटिंग्स  अपने स्थान पर लगा ले। 

इसी प्रकार वस्त्रों की जेबें खाली कर लें। सब सामान हटा दें अन्यथा उनके रंग भी खराब हो जाएगी। उनकी परिसज्जाएं भी खराब न हो पाएं यह भी ध्यान रखना चाहिए। कुछ वस्त्र केवल पानी में डुबोंए और पानी में से दो या तीन बार निकाल कर सुखाने के लिए डाल दें। उन्हें वैसे ही धुले अधिक देर तक ना डुबोंए । इसके उपरांत सब धुलाई की सामग्री व धुलाई के उपकरणों का प्रबंध करें। वस्त्रों को धोकर उन्हें सुखाने का प्रकार से प्रबंध करें। जैसे अलगनी (cloth line ), हैंगर रस्सी, डोरी जो बिछाकर सुखाने वाले वस्त्र हो जैसे ऊनी या कोई निटिंड वस्त्र को भी लटकाते नहीं है। चिमटीयां भी पास में रखना जरूरी है। खाट पर कोई सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर यह सुखाने वाले वस्त्र बिछा दें। हवा चारों ओर से आनी चाहिए। शुद्ध जल भी धोने के लिए होना चाहिए। इस प्रकार उचित विधि, उचित रसायन, साफ शुद्ध जल तथा धुलाई के सारे उपकरण पास में होने चाहिएं। ताकि धुलाई आसानी से, ठीक प्रकार से हो सके। इसके उपरांत धुले हुए वस्त्रों पर आराम से आयरन करके उन्हें नया रूप देने का यत्न करना चाहिए। 

आज हमने जाना धुलाई ( Laundey) कला क्या है, तथा धुलाई का हमारे जीवन में क्या महत्व है, मुझे उम्मीद है आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो। 

Laundry and its Equipments)
धुलाई के उपकरण के उपकरण के बारे में जानने के लिए मेरे पेज को फॉलो करें । 

(Laundry and its Equipments) धुलाई के उपकरण के बारे में जाने के लिए इस link पर click करे 👇

Part -1):


ऊपर दिए हुए लिंक पर क्लिक करें। और धुलाई उपकरण के बारे में जाने। 


List some popular fabric? कुछ लोकप्रिय कपड़े की सूची ।



        Popular Fabric 

List some popular fabric ? कुछ लोकप्रिय कपड़े की सूची ।

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  •                               Denim 
                                 
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  •                                   Velvet
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  •                                  Chiffon
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  •                                  Crepe
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  •                                  George
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  •                        Muslin fabric
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  •                              Taffeta
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  •                               Tweed
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  •                             Mohair
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  •                             Damask
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  •                            Gringham 
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  •                             Organza 
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  •                        Chenille fabric
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  •                                     Jeans 
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  •                          Flecce fabric 
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  •                                Felt
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  •                               Poplin
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Flannel
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Chintz
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Alpaca fib
               💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                             Brocade
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  •                                Voile
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                          Gabardine
              💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                            Organdy 
               💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                            Corduroy
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  •                           Terrycloth 
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Tartan
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Gauze
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Lawn cloth
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Charmeuse
              💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Chino cloth
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Batiste
               💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Baize 
               💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Fustian
              💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Percale
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                             Madras
          💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Broadcloth
          💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Lame 
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                        Linsey woolsey
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                         Burlap fabric 
              💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Pongee
         💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Challis
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                             Habutai
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Kevlar
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Cotton
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Jersey
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                 Silk
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Satin
          💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                             Jacquard
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                 Linen
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Poplin
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                 Baize 
          💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Rayon
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Acetate
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Acrylic
 
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Lyocell
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                                Modal
           💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                               Nylon
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                           Microfiber
             💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                            Neoprane
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  •                                 Vinyl
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  •                           Cotton silk 
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  •                     Emboridard fabric
               💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                          Faux leather
              💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •                              Viscose
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  •                              Faux fur
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  •                              Elastane
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  •                               Hemp
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  •                              Angora
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  •                         Alpace wool
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  •                             Gingham
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  •                            Jute fabric
            💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
                                 Merino  
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  •   Moleskin
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   Suede
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  •    Egyptian cotton
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Flannel

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  Garbardine

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  •    Wool jersey,
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  Silk velvet

   
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  •    Bomboo
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  •    Convan
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  •    Chenille
💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •    Georgette
💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •    Fleece
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  • Whipcord
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  •    Drill
💨💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •    Twill
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  •    Melton
💨💨💨💨💨💨💨💨💨
  •   Duvetyne
 
लोकप्रिय कपड़े की सूची इस प्रकार हैं। आज हमने जाना कुछ लोकप्रिय कपड़े के बारे में।

इस आर्टिकल में हमने कुछ लोकप्रिय कपड़ो की जानकारियां प्राप्त किया। कपड़ों के बारे बारे में जाने के साथ-साथ यह भी जाना आवश्यक होता है कि टेक्सटाइल क्या है उसके बारे में जानने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें 👇
और जानें टेक्सटाइल क्या है। 



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