Personality Factor and choice of clothes . व्यक्तित्व के अनुसार कपड़ों का चयन।

 
                  Choice of clothes 

    🔵  Personality Factor and choice of clothes . व्यक्तित्व के अनुसार कपड़ों का चयन। 
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🌿परिधान धारण करना उनके चुनाव पर ही आधारित है क्योंकि परिधान धारण करने से व्यक्तित्व में निखार आता है अतः वस्त्रों का चयन करते समय बहुत सी बातें होती है इनका ध्यान रखना जरूरी होता है। कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो ड्रेस उनको मिले उसे धारण कर लेती हैं। कुछ महिलाएं व पुरुष भी अपनी body shape को बिना जाने बिना परखे कुछ भी पहन लेते हैं जिससे उनका व्यक्तित्व दबा दबा सा लगता है। परिधान धारण करने का मुख्य उद्देश्य ही यह होता है कि दूसरों को प्रभावित करना कपड़ों या वस्त्रों को पसंद करने से पहले यह जानना आवश्यक है कि आपकी बॉडी (body) किस (type)की है। 🌿

🌿Body types निम्न तरह की होती हैं--- 
  1. प्लस साइज (plus Size)
  2. पीयर शेप (pear shape)
  3. ( Boyish shape) 
  4. (Hourglass Figure ) 
  5. (Long and Lean shape )🌿
  
                               Plus size 

                             

🌿Stabdard size से अधिक नाप वाले plus size कहलाते हैं। उन लोगों के लिए fitting coats, tight belts, cut pants, knee length and kaftans तथा pencil shape dkirts ही सूट करते हैं।

                             Pear shape 

                            

🌈ऐसी महिलाएं जिनके hips तो chest and shoulder से अधिक चौड़े होते हैं, उनको ऐसी ड्रेस पसंद करनी चाहिए। कि देखने वालों का ध्यान हिप पर खप जाए, ऊपर की ओर ही आकर्षण बनाए रखने के लिए backless, halter neck वाली या deep nevk वाले वस्त्र पहनने चाहिए। 🌈

                          Boyish shape 

                         

🌈ऐसी महिलाओं की नाप में छाती कम आ रही बराबर ही होते हैं अतः शारीरिक गोलाई (curves) को ऐसे उभारे की कमर पतली लगे इसके लिए इनको sporting jackets, A-line skirt, यदि साड़ी हूं तो कमर से टाइप करके तथा ब्लाउज कमर से अच्छी फिटिंग वाला पहले धीरे काफ्तान में कमर पर बेल्ट बांधकर प्रयोग करें। 🌈

                    Hourglass Figure 

                            

🌈इस आकृति में burst और hip बराबर होते हैं। कमर 8 इंच से 10 इंच तक कम होती है। ऐसी आकृति वालों को ही ड्रेस जंचती है। क्योंकि यह फिगर सुंदर है। 🌈

                 Long and Lean shape 

                              

🌈ऐसी लंबी वह पतली आपत्ति वाली महिलाओं के शरीर के कटाव (curve) कम ही दिखते हैं। इनकी बनावट विभिन्न models के जैसी होती है, इन्हें ड्रेस बनाकर जांच ना होता है। style वह चाल ढाल से यह attractive लगती है। 🌈

                  समाज व कपड़ों की पसंद
            (Society and clothing choice )

                            

🌈समाज में अधिक आने जाने वाली महिलाओं व पुरुषों को ड्रेस बहुत चुनकर पहनी चाहिए वहां के वातावरण स्थान पदवी आदि के अनुसार ड्रेस का चयन करना चाहिए। कुछ लोग अपने मन के हिसाब से कपड़े पहनते हैं कुछ यह सोचकर पहनने का निर्णय लेते हैं की आस पड़ोस की विचारधारा के अनुसार सभी को अच्छा लगे ऐसा सोचकर पहनने का निर्णय लेते हैं । लेकिन यदि आप यह विचार करते हैं कि जो मैं पहन रही हूं या रहा हूं वह मेरे व्यक्तित्व को प्रदर्शित करेगा या नहीं , यानी thinking  पहनने वाले की positive या negative भी हो सकती है, यह कि अमुक परिधान में व्यक्तित्व कैसा दिखाई देगा। प्रायः स्त्रियां अपने परिधान के विषय में बहुत अधिक सोचती विचारती हैं जबकि पुरूष कम ही इतना सोच विचार करते हैं। 🌈

                      वस्त्रों में जागरूकता
                ( clothing Awareness)

                               

🌈Personality Factor मैं body types के विषय में जो जानकारी दी गई है उन्हीं body types आधार के अनुसार ही ड्रेस चुनकर पहनी जाए तो वही clothing Awareness कहलाती है।🌈

🌈अवसर के अनुसार ड्रेस पहनना:  

हमारे वस्त्रों का धारण करना हमारे परिधानों के प्रति जागरूकता को दर्शाता है जैसे कि ऑफिस में या मीटिंग में जाना, विवाह समारोह या किसी भी पार्टी में जाना हुआ पिकनिक या घूमने के लिए जाना सभी परिस्थितियों में भी विभिन्न प्रकार के वस्तुओं का चयन करने व उन्हें धारण करना है हमारी जागरूकता है🌈

       टेक्सचर व प्लेट्स से प्रभावित आधुनिक फैशन
         ( Current Fashions with special.             emphasis on Texture and Plaids )

                             

🌈Plaids : अमेरिका में plaids को तारतन (Tartan) कहा जाता है। यह प्रायः चैकदार कपड़ा होता है जिससे प्रभावित होकर आधुनिक फैशन में भी इसको स्थान मिला है।🌈

🌈Kilt

यह 16वीं शताब्दी में स्कॉटलैंड में आदमी व लड़कों के पहनने जाने वाली पारंपरिक ड्रेस होती थी जिसकी लंबाई घुटनों तक तथा पीछे के भाग से प्लेट्स होती थी उसी को kilt कहते हैं। 🌈

🌈Texture and plaids : 

16वीं शताब्दी वाले फैशन को कुछ परिवर्तित करके आज आधुनिक से फैशन में मिला लिया गया है। अर्थात् kilt के style मैं कंधे के ऊपर पहनकर, कमर में सामने से इसे जो बांधा जाता था उसी के patrern पर आज के समय में Bagiper बजाने वाली की तथा फौज में musicians  कि इस प्रकार की uniform बना दी गई है।🌈

🌈अर्थात् bagpiper बजाने वालों की भी कंधे से लटकती हुई चैकदार वूलन ड्रेस या ठंडी ड्रेस ( मौसम के अनुसार) निश्चित कर दी गई है। इसके अतिरिक्त आधुनिक फैशन में इस पारंपरिक ड्रेस का Texture and plaids का प्रयोग कई तरह से हो रहा है । जैसे पर्स बनाने में, हैंड बैग बनाने में, necks मैं, वैली व स्कार्फ तथा अनेकों प्रकार की स्कर्ट्स तथा जैकेट्स में चेक मटेरियल का तथा क्लिट्ज डालकर डिजाइनिंग करने का प्रचलन आज भी बहुत से तरीको से हो रहा है। छात्र छात्राओं के लिए Texture and plaids  को भिन्न-भिन्न रूपों में डिजाइन बनाने व नए नए प्रयोग करने के लिए यह चैकदार कपड़ा बहुत उपयोगी है।🌈

           ड्रेपिंग ( Draping ) 

                   

🌈ड्रेपिंग वह तकनीक है जिसके द्वारा एक डिजाइनर वस्त्र को बनाने (create) के लिए डमी ( dummy) या स्केच ( sketch) पर ड्रेस की फार्म (form) मैं unstitched cloth को लटका देते हैं यानी drape  कर देते हैं। इसी पर डिजाइनर सैंपल (sample) का पूरा का पूरा रूप बना देते हैं।  इस कार्य में कपड़े को सिलाई नहीं की जाती है। सिलाई के स्थान पर जैसे-जैसे डिजाइन बनाना होता है वैसे कपड़े को डमी पर सेट कर के ड्राइंग पीलिया ऑल पिन लगाकर बेल्ट ओके द्वारा रोक कर अथवा चिपकाने वाले यानी sticking material के द्वारा ड्रेस को shape देते हैं Drapped body garments को अलग-अलग मटेरियल के द्वारा है दिखा सकते हैं। लेकिन प्रशिक्षणथी जब कक्षा में draping को सिखाती है तो प्रायः स्केच पर ही सिखाती है। स्केच बनाकर उस पर अलग-अलग मैचिंग के कपड़ों के द्वारा चिपका कर उसको सुंदर बनाने के लिए ब्लैक स्केच पेन या sparkling colours से outline बनाते हैं। अतः इसके या डमी द्वारा विद्यार्थी draping सीखते हैं। 🌈

 इन सभी के अतिरिक्त इन सब से जुड़े कुछ ऐसे पालना तथा अवज्ञा के बारे में बताऊंगी जो इस प्रकार है: 

           आदतों की पालना तथा अवज्ञा करना
     ( Conformity and Non- conformity)

🌈Conformity : 

यह वह प्रोसेस है, जिसके द्वारा एक individual व्यक्ति के विचार,  विश्वास व आदतें दूसरों से प्रभावित हो जाती है।  यह प्रभाव किसी व्यक्ति के अंदर किसी समूह को देखकर या समाज में देखकर अपने अंदर स्वयं आ जाता है। यह असर अनजाने में या सीधे रूप से या सामाजिक दबाव से भी उत्पन्न हो जाते हैं। ये conformity किसी वाह्य व्यक्ति की उपस्थिति या अनुपस्थिति दोनों ही दिशाओं में भी स्वयं आ जाती है। जैसे की उदाहरणत: खाते समय या किसी शादी में व्यक्ति समाज में बने हुए नियमों का पालन स्वयं ही करने लगता है। जैसे खाने से पहले हाथ धोने की आदत का कोई भी व्यक्ति पालन स्वयं करता है क्योंकि यह उनकी बचपन से ही आदत बन चुकी है इस नियम का पालन अकेले हो चाहे 8 या 10 लोगों के बीच में हो। यह स्थिति वहां पर भी होती है जहां पर समान उम्र कल्चर धर्म या समान शैक्षिक स्तर के लोग उपस्थित हों। इन चीजों या नियमों से हटने पर उसको सामाजिक बहिष्कार का डर होता है। ऐसा माना जाता है कि confirmity केवल teenagers ( युवा होते हुए बच्चों) व युवाओं से ही संबंधित है, परंतु वास्तव में मानव की हर उम्र पर हर समय असर होता है। एक समान सामाजिक स्तर के उम्र के तथा समूह के विचारधारा या आदतों का स्थिति के अनुसार सद्प्रभाव या दुष्प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के तौर पर समान स्तर के समूह में आमतौर पर देखा गया है कि अधिकतर yound crowd  नशे व शराब जैसी आदतों से बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं यह उन आदतों में पड़कर शामिल हो जाते हैं। लेकिन इसी समूह में दूसरों की देखा देखी सड़क पर सुरक्षित तरीकों के आधार पर ड्राइविंग करते है जो कि इसका अच्छी आदतों का एक उदाहरण है जो कि उसके सुप्त मस्तिष्क ( sub-consciouse mind )  मैं यह आदत बन चुकी है। 🌈
 
🌈Non- conformity :

समाज में उपस्थित नियमों तथा कानूनों को ना मानना या उनके अनुसार ना चलना ही non-conformity है।  समाज के द्वारा बनाए गए नियमों का आदतो ( practices) ना मानना या इनसे सहमति ना होना भी Non-conformity ही कहलाता है। उदाहरणत: आप भी कार्य करते हो जो आपके आसपास किसी ने ना किया हो। जैसे किसी उत्सव में या पार्टी आदि ने किसी के घर बिना उपहार के पहुंच जाना। जबकि यह एक सामाजिक नियम व प्रेम पूर्ण व्यवहार है कि आप किसी के यहां निमंत्रण पर किसी पार्टी में जाए तो अवसर के अनुसार उपहार लेकर जाएं। 
जिस प्रकार यह Conformity और Non- conformity सामाजिक दायरे में निहित है, इसी प्रकार अपनी ट्रेड में फैशन टेक्नोलॉजी में डिजाइन बनाने में, परिधान तैयार करने में इन सभी नियमों का, आदतों का पूरा पूरा ध्यान देना जरूरी है ताकि परिधान निर्माण सुंदर व व्यवस्थित रहे। 🌈

इस आर्टिकल में हमने कपड़ों के बारे में जाना। 

तथा मध्यकालीन युग के फैशन कैसे थे इसके बारे में जाने के लिए इस लिंक पर क्लिक करें👇




                  

































 

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